एनटीपीसी की मनमानी,किसानों का मुआवजा बंद, मजदूरों का शोषण; राखड़ प्रदूषण से ग्रामीण बेहाल !

बिलासपुर। एनटीपीसी सीपत परियोजना से प्रभावित किसानों और मजदूरों का आक्रोश उफान पर है। ग्राम कौडिया, नवागांव और हरदा के करीब 60 किसानों की उपजाऊ जमीन एनटीपीसी की राखड़ डंपिंग और पानी निकासी से दलदली हो चुकी है।

2023 से अचानक बंद हुआ मुआवजा,किसानों की बिगड़ी आर्थिक स्थिति..

वर्ष 2011 में तहसीलदार, पटवारी और एनटीपीसी प्रबंधन ने मिलकर इन जमीनों को दलदली घोषित किया था। तब से किसानों को हर वर्ष सरकारी दर पर मुआवजा दिया जा रहा था। मगर, 2023 के बाद बिना किसी नोटिस या पंचनामा के मुआवजा अचानक बंद कर दिया गया। इससे किसानों की आर्थिक हालत बेहद खराब हो गई है।

राखड़ प्रदूषण से फैल रही बीमारियाँ,प्रबंधन पर संवेदनहीनता का आरोप..

ग्रामीणों का कहना है कि राखड़ उड़ने से पूरा क्षेत्र प्रदूषित हो गया है, जिससे दमा और साँस की बीमारियाँ तेजी से फैल रही हैं। इतना ही नहीं, 14 जुलाई 2025 को राखड़ में दबने से रामखिलावन महिलांगे की दर्दनाक मौत हो गई थी, लेकिन उनके परिवार को आज तक कोई सहायता नहीं मिली। ग्रामीणों ने सीधा आरोप लगाया कि एनटीपीसी प्रबंधन गरीबों के जीवन को नजरअंदाज कर रहा है।

मजदूरों का भी हो रहा शोषण..

वेतन का संकट और नौकरी से निकाला: एनटीपीसी की यूनिट 2 में काम करने वाली सिमर इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी पिछले तीन माह से मजदूरों को वेतन नहीं दे रही है। विरोध करने पर मजदूरों को तत्काल नौकरी से निकाल दिया गया।

स्थानीय की जगह बाहरी मजदूर..

यूनिट 3 में विष्णु प्रकाश पोंगलिया कंस्ट्रक्शन कंपनी स्थानीय मजदूरों को काम नहीं दे रही है। इसके बजाय बाहरी मजदूरों को रखकर उनसे 12 घंटे काम लिया जा रहा है, जबकि भुगतान सिर्फ 8 घंटे का किया जा रहा है।

न्यूनतम मजदूरी नियम का उल्लंघन..

डेम नंबर 2 में कार्यरत जेपी एसोसिएट्स मजदूरों को 250 से 300 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी दे रही है, जबकि केंद्र सरकार ने न्यूनतम मजदूरी 541 रुपये तय की है। मजदूरों को ईपीएफ, ईएसआई और सुरक्षा कार्ड जैसी बुनियादी सुविधाएँ भी नहीं मिल रही हैं।

मजदूर यूनियन अध्यक्ष ने दी चेतावनी,आंदोलन तेज करने की तैयारी..

मजदूर यूनियन अध्यक्ष मुकेश सिंह धुरी ने बताया कि उन्होंने किसानों और मजदूरों की समस्या शासन तक पहुँचाई, लेकिन कार्रवाई के बजाय मस्तुरी थाना प्रभारी ने उन पर झूठा मामला दर्ज कर दिया। अध्यक्ष का सीधा आरोप है कि एनटीपीसी मनमानी कर रहा है और मजदूरों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है।

न्याय नहीं मिला तो होगा बड़ा आंदोलन..

कलेक्ट्रेट पहुँचे ग्रामीणों ने अध्यक्ष के साथ जमकर नारेबाजी की और हल्ला बोल प्रदर्शन किया। ग्रामीणों और मजदूरों ने साफ शब्दों में कहा कि अगर उनकी माँगें पूरी नहीं हुईं तो वे एक बार फिर से सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे। उन्होंने हुंकार भरी कि वे आखिरी साँस तक अपनी हक की लड़ाई एनटीपीसी से लड़ते रहेंगे।

ये हैं ग्रामीणों की प्रमुख मांगें..

भूमि अधिग्रहण कानून 2013 (LARR) के तहत सभी प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए।मजदूरों का शोषण तुरंत बंद हो और उन्हें उनका न्याय मिले।

मजदूरों का शोषण तुरंत बंद हो और उन्हें उनका न्याय मिले।

राखड़ प्रदूषण पर तत्काल रोक लगाई जाए।

मजदूर यूनियन अध्यक्ष मुकेश सिंह धुरी ने कहा कि अगर मनमानी बंद और मांग पूरी नहीं हुई तो फिर से आंदोलन किया जाएगा।