Newborn battling rare diseases got a new life.. Successful treatment at Shri Shishu Bhavan in Bilaspur..
बिलासपुर। सारंगढ़ क्षेत्र के बिलाईगढ़, मालदी निवासी लोकेश यादव और मनीषा यादव की पुत्री को जन्म के तुरंत बाद से ही दुर्लभ बीमारियों ने घेर लिया था। लेकिन सारंगढ़ के श्री शिशु भवन के डॉक्टरों की टीम के अथक प्रयास और विशेषज्ञता ने इस नन्हीं जान को नवजीवन दिया है। जन्म से ही ट्रेकियोसोफेजियल फिस्टुला (TEF) और ड्योडेनल एट्रेसिया (DA) जैसी अत्यंत दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित यह नवजात बच्ची अब पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने माता-पिता की गोद में है।
TEF और DA : दुर्लभ जन्मजात बीमारियां..
नवजात का जन्म 04/04/25 को घर पर हुआ था, जिसका वजन 2.0 किग्रा था। जन्म के तुरंत बाद बच्ची को सांस लेने में तकलीफ हुई और देर से रोने के कारण उसे झटके भी आए। बच्ची की गंभीर स्थिति को देखते हुए परिजन उसे 05/04/25 को श्री शिशु भवन ईदगाह रोड, मध्य नगरी चौक में ले गए। यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बिना देर किए इलाज शुरू किया। डॉ. श्रीकांत गिरी ने बताया कि एक्सरे जांच में बच्ची को TEF और DA दोनों बीमारियां पाई गईं। यह स्थिति अत्यंत दुर्लभ है क्योंकि दोनों समस्याएं एक ही नवजात में बहुत कम पाई जाती हैं और ऐसे मामलों में बचने की संभावना काफी कम होती है। TEF लगभग 5000 में से 1 बच्चे को प्रभावित करता है, जबकि DA लगभग 10000 में से 1 को।
ट्रेकियोसोफेजियल फिस्टुला (TEF) अन्नप्रणाली और श्वास नली के बीच एक असामान्य संबंध है, जो भ्रूण के विकास के दौरान बनता है। वहीं, ड्योडेनल एट्रेसिया छोटी आंत के पहले भाग, ड्योडेनम में जन्मजात रुकावट है, जो आमतौर पर भ्रूण के विकास के दौरान आंत मार्ग के पुनर्गठन की विफलता से होता है। दोनों बीमारियों के एक साथ होने पर बच्चों के बचने की संभावना मात्र 20% रह जाती है।
श्री शिशु भवन के चिकित्सकीय टीम की सफलता..
इसके बावजूद, डॉ. श्रीकांत गिरी, डॉ. अनुराग कुमार, डॉ. रवि द्विवेदी, डॉ. रोशन शुक्ला, डॉ. प्रणव अंधारे, डॉ. मोनिका जयसवाल, डॉ. मेघा गोयल और उनकी पूरी मेडिकल टीम ने चुनौती स्वीकार की। उन्होंने दो चरणों में जटिल सर्जरी का फैसला किया। पहला चरण 07/04/25 को और दूसरा चरण 08/04/25 को सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। ऑपरेशन के बाद बच्ची की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होने लगा और 17 दिन बाद उसे वेंटिलेटर से हटाया गया। इलाज के दौरान ट्यूब से दूध दिया गया। अब 24 दिन बाद नवजात पूर्ण रूप से स्वस्थ है और अपनी माँ के साथ कमरे में स्तनपान कर रही है।
नवजात के माता – पिता का आभार..
नवजात के माता-पिता ने श्री शिशु भवन और डॉक्टरों का ह्रदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि समय पर सही जगह पहुँचने और डॉक्टरों की टीम के अथक प्रयास से उनके घर में खुशियाँ लौट आई हैं। इस सफल इलाज ने श्री शिशु भवन की चिकित्सा दक्षता और सेवा भावना का एक और उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिससे ऐसे ही दुर्लभ मामलों से जूझ रहे अनेक अभिभावकों में उम्मीद की नई किरण जगी है। यह जानकारी श्री शिशु भवन के प्रबंधक नवल वर्मा द्वारा दी गई।

