Malhar Festival: A confluence of culture and religion, a historic re-start after 6 years…

मल्हार (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाले मल्हार क्षेत्र में स्थित प्राचीन मंदिरों और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के उद्देश्य से मल्हार महोत्सव 6 वर्षों के अंतराल के बाद भव्य रूप से पुनः प्रारंभ हुआ। इस बार महोत्सव का आयोजन न केवल सांस्कृतिक, बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
धार्मिक धरोहर का संरक्षण और महोत्सव की भूमिका..
मल्हार क्षेत्र, जिसे धर्म और संस्कृति का केंद्र माना जाता है, प्राचीन शिव मंदिर, डिंडेश्वरी मंदिर, और प्राचीन शिलालेखों के लिए प्रसिद्ध है। मल्हार महोत्सव, इन धार्मिक स्थलों की महत्ता को उजागर करते हुए, श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करने का प्रमुख माध्यम बनता जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री तोखन साहू के प्रयासों और मुख्यमंत्री की सहमति से इस आयोजन को नए कलेवर में प्रस्तुत किया गया। इस बार महोत्सव का बजट 5 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपए किया गया है। इस निर्णय से न केवल धार्मिक स्थलों का प्रचार-प्रसार होगा, बल्कि क्षेत्रीय विकास को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
धार्मिक आयोजनों का समावेश..
महोत्सव के दौरान धार्मिक अनुष्ठान, कथा-वाचन, भजन संध्या और दीपोत्सव जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए। शिव आराधना और डिंडेश्वरी माता की महाआरती ने धार्मिक भक्तों को आकर्षित किया। स्थानीय पुजारियों और विद्वानों ने क्षेत्र की धार्मिक महत्ता पर प्रकाश डाला।
डिंडेश्वरी मंदिर समिति के सदस्य रामनारायण भारतद्वाज ने कहा, “यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक है, बल्कि यह हमारी धार्मिक आस्था का भी प्रतीक है। इस महोत्सव से मल्हार क्षेत्र का गौरव और बढ़ेगा।”
धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा..
मल्हार महोत्सव को धार्मिक पर्यटन से जोड़ने की योजना बनाई गई है। महोत्सव के दौरान स्थानीय हस्तशिल्प, धार्मिक प्रतीक, और स्थानीय व्यंजनों की प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिससे क्षेत्र की पहचान और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
मल्हार महोत्सव का पुनः आयोजन धर्म और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संजोएगा, बल्कि धार्मिक पर्यटन को भी नई ऊंचाई पर ले जाएगा।

