छत्तीसगढ़ वनरक्षक भर्ती में बड़ा उलटफेर : मैनुअल टेस्ट खत्म, 1484 पदों के लिए अब 28 अक्टूबर से डिजिटल परीक्षा,विभाग ने पारदर्शिता के लिए उठाया बड़ा कदम !

रायपुर । छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित वनरक्षक भर्ती प्रक्रिया पर आखिरकार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। भर्ती को लेकर उठे विवाद और गड़बड़ी के आरोपों के बाद वन विभाग अब पुरानी मैनुअल मूल्यांकन प्रणाली को पूरी तरह से बंद कर रहा है। विभाग ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी पर आधारित नई परीक्षा प्रणाली अपनाने का निर्णय लिया है। यह बड़ा बदलाव 1,484 पदों पर होने वाली भर्ती के लिए लागू होगा। डिजिटल टेस्ट 28 अक्टूबर 2025 से शुरू होगा, जिसके लिए एडमिट कार्ड 6 अक्टूबर से जारी होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह फैसला उन हजारों युवाओं के लिए बड़ी राहत लेकर आया है जिन्होंने पिछली प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे।

क्यों लिया गया यह फैसला?

पिछली भर्ती प्रक्रिया के दौरान कुछ जिलों में मैनुअल रिकॉर्डिंग, कृत्रिम रोशनी में टेस्ट और माप उपकरणों में विसंगतियों की गंभीर शिकायतें सामने आई थीं। अभ्यर्थियों ने खुले तौर पर पारदर्शिता पर सवाल उठाए थे।

इस पूरे मामले को वरिष्ठ अधिवक्ता विजय मिश्रा ने सूचना का अधिकार (RTI) लगाकर उजागर किया था। उन्होंने RTI के जरिए भर्ती प्रक्रिया की विसंगतियों का खुलासा किया था। जनसंवाद जैसे समाचार माध्यमों में खबर प्रमुखता से छपने के बाद वन विभाग ने इस पर तुरंत संज्ञान लिया और ऑनलाइन और टेक आधारित मूल्यांकन प्रणाली को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया।

विभाग ने स्पष्ट किया है कि नई डिजिटल प्रक्रिया में मानवीय हस्तक्षेप न्यूनतम होगा, ताकि किसी भी स्तर पर गड़बड़ी या पक्षपात की गुंजाइश न रहे।

परीक्षा का नया डिजिटल स्वरूप..

विभाग के अनुसार, नई परीक्षा प्रणाली पूरी तरह से डिजिटल टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी।

ऑटो रिकॉर्डिंग : सभी टेस्ट का डेटा ऑटो रिकॉर्डिंग सिस्टम में कैद होगा।

रीयल-टाइम मॉनिटरिंग : उम्मीदवारों की उपस्थिति और प्रदर्शन की रीयल-टाइम मॉनिटरिंग की जाएगी।

सेंसर और कैमरे : पूरी प्रक्रिया कैमरे और डिजिटल सेंसर की निगरानी में होगी, जिससे किसी भी उम्मीदवार को संदेह का अवसर नहीं रहेगा।

विभाग ने जारी की व्हाट्सऐप हेल्पलाइन..

वन विभाग ने अभ्यर्थियों की सुविधा के लिए एक व्हाट्सऐप हेल्पलाइन नंबर 7489986772 जारी किया है। इस नंबर पर उम्मीदवार परीक्षा से जुड़ी किसी भी तकनीकी या प्रशासनिक समस्या की जानकारी दे सकते हैं।

दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई बाकि !

भर्ती प्रक्रिया को सुधारना एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन कुछ अहम सवाल अब भी खड़े हैं जिनका जवाब विभाग को देना होगा। युवाओं का समय और प्रयास बर्बाद करने के मामले में क्या भर्ती में गड़बड़ी करने वाले अधिकारियों पर गाज गिरेगी? बाहरी हैदराबाद की जिस कंपनी को पिछली बार भुगतान किया गया था, क्या उसे अब ब्लैकलिस्ट किया जाएगा? क्या यह फैसला केवल सुधार तक सीमित रहेगा या दोषी अधिकारियों पर भी कार्रवाई होगी?

सूत्रों की मानें तो..

ये वो ज्वलंत प्रश्न हैं जिन पर युवाओं की नजर बनी हुई है।

अभ्यर्थियों में लौटी उम्मीद..

विभाग के इस फैसले से अभ्यर्थियों में उम्मीद लौट आई है। एक उम्मीदवार ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, पहले टेस्ट में कई तकनीकी दिक्कतें थीं। अब जब विभाग ने डिजिटल परीक्षा की घोषणा की है, तो हमें पूरा भरोसा है कि इस बार चयन निष्पक्ष होगा। युवाओं ने इस सुधार के लिए जनसंवाद जैसे मीडिया संस्थानों का धन्यवाद भी किया है।

वनरक्षक भर्ती 2025 : चयन प्रक्रिया पर कुछ सुलगते सवाल ?

40,000 सफल अभ्यर्थियों का दोबारा शारीरिक परीक्षण क्यों ?

वनरक्षक के 1484 पदों के लिए हुई भर्ती प्रक्रिया में लगभग डेढ़ लाख आवेदन आए थे। व्यापम की लिखित परीक्षा में 40,000 अभ्यर्थी सफल घोषित हुए हैं। यह तर्कसंगत नहीं लगता कि इन 40,000 सफल उम्मीदवारों को अब दोबारा से केवल 1484 पदों के लिए ‘डिजिटल फिजिकल टेस्ट’ (शारीरिक दक्षता परीक्षा) से क्यों गुजरना पड़ रहा है ?

क्या यह 40,000 उम्मीदवारों को जानबूझकर अनावश्यक मानसिक और शारीरिक दबाव में डालने की प्रक्रिया नहीं है? क्या इतने अधिक उम्मीदवारों के लिए दोबारा शारीरिक परीक्षा आयोजित करना समय, संसाधन और धन की दोबारा बर्बादी नहीं है?

जवाबदार कौन ?

इस पूरी प्रक्रिया में व्यापम और वन विभाग के अधिकारियों की क्या भूमिका है जिन्होंने प्रारंभिक परीक्षा के बाद भी उम्मीदवारों की छंटनी के लिए स्पष्ट मापदंड निर्धारित नहीं किए।

प्रारंभिक चरण में ही छंटनी के स्पष्ट मापदंड क्यों नहीं रखे गए ?

जब कुल पद संख्या केवल 1484 है, तो व्यापम की परीक्षा में पदों की संख्या के मुकाबले लगभग 27 गुना (27:1) अधिक (40,000) उम्मीदवारों को क्यों पास किया गया ?

नियमों के अनुसार, लिखित परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों को सामान्यतः पदों की संख्या का 5 से 10 गुना तक बुलाया जाता है। क्या व्यापम द्वारा इतने अधिक लोगों को पास करने का निर्णय चयन प्रक्रिया को अनावश्यक रूप से लंबा और जटिल बनाने का प्रयास है?

जवाबदार कौन? व्यापम और वन विभाग के वह नीति-निर्माता अधिकारी सीधे तौर पर जवाबदेह हैं, जिन्होंने इतनी बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को पास करके प्रशासनिक दुविधा पैदा की है।

डिजिटल फिजिकल टेस्ट’ की विश्वसनीयता और औचित्य क्या है?

वनरक्षक की भर्ती में शारीरिक दक्षता परीक्षा (PFT) एक मानक प्रक्रिया है। लेकिन ‘डिजिटल फिजिकल टेस्ट’ क्या है और यह सामान्य शारीरिक परीक्षण से कैसे भिन्न है ?

क्या डिजिटल तरीके से किया जा रहा यह शारीरिक परीक्षण निष्पक्षता और पारदर्शिता की गारंटी देगा? इस विशेष परीक्षण को लागू करने के पीछे तकनीकी या प्रशासनिक कारण क्या हैं?

वन विभाग के उच्च अधिकारी और तकनीकी विशेषज्ञ इस बात के लिए जवाबदार हैं कि उन्होंने चयन प्रक्रिया के बीच में एक नई और अस्पष्ट परीक्षा पद्धति (डिजिटल फिजिकल टेस्ट) को क्यों शामिल किया, जबकि इससे पहले लाखों लोगों ने सामान्य प्रक्रिया से आवेदन किया था।

इन सवालों का सीधा जवाब संबंधित वन विभाग के मंत्री/अधिकारी या व्यापम के प्रमुख ही दे सकते हैं।