

बालाघाट/खैरागढ़। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में माओवाद विरोधी अभियान को बड़ी कामयाबी मिली है। बीते 11 दिनों में कुल 33 माओवादियों ने हथियार डाल दिए हैं, जो लाल आतंक की समाप्ति का साफ संकेत है। सोमवार को 45 लाख के इनामी और एमएमसी जोन प्रभारी रामधेर मज्जी ने अपने 11 साथियों के साथ छत्तीसगढ़ पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया। इससे ठीक एक दिन पहले, रविवार को 10 माओवादियों ने सरेंडर किया था।
शीर्ष कमांडरों का आत्मसमर्पण..
रामधेर मज्जी, जो केंद्रीय समिति सदस्य (सीसीएम) भी है, ने सोमवार सुबह करीब सात बजे खैरागढ़ स्थित बकरकट्टा थाना क्षेत्र के कुम्ही गांव में हथियार सौंपे। रामधेर का समर्पण एमएमसी जोन में माओवादी तंत्र के लिए भयंकर झटका माना जा रहा है। रामधेर के साथ आठ आठ लाख के इनामी डिविजनल कमेटी सदस्य (डीवीसीएम) चंदू उसेंडी, ललिता, जानकी और प्रेम ने भी मुख्यधारा अपनाई। इसके अलावा पांच पांच लाख के इनामी रामसिंह दादा और सुकेश पोट्टम सहित कुल 12 वर्दीधारी माओवादियों ने समर्पण किया। इन सभी ने पुलिस को एके 47, इंसास, एसएलआर समेत कुल 10 हथियार सौंपे।
बालाघाट में मोस्ट वांटेड दीपक का कथित सरेंडर..
सोमवार को ही बालाघाट के मोस्ट वांटेड माओवादी दीपक ने भी लांजी स्थित देवरबेली चौकी में तीन साथियों के साथ आत्मसमर्पण किया। हालांकि, पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने फिलहाल इस खबर से इनकार किया है। सूत्रों का कहना है कि दीपक और उसके साथियों को कड़ी सुरक्षा में जिला मुख्यालय लाया जा रहा है, जहां आगे की कानूनी प्रक्रिया पूरी की जाएगी। दीपक, जिसे सुधाकर और मंगल सिंह के नामों से भी जाना जाता है, बालाघाट के पालागोंदी का रहने वाला है और कई वारदातों में शामिल रहा है।
मिशन 2026 : माओवाद समाप्ति की ओर..
28 नवंबर से शुरू हुआ यह सरेंडर घटनाक्रम निर्णायक मोड़ ले रहा है। 28 नवंबर को 11 माओवादियों ने गोंदिया में सरेंडर किया था, जिसके बाद 7 दिसंबर को 10 माओवादियों ने हथियार छोड़े और अब 8 दिसंबर को 12 माओवादियों ने समर्पण किया। पुलिस का दावा है कि लाल आतंक अब लगभग खत्म होने वाला है और माओवादमुक्त बालाघाट का लक्ष्य समय से पहले पूरा होता दिख रहा है। रविवार को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भी जनवरी में माओवादमुक्त बालाघाट का संकल्प लिया था। सूत्रों के मुताबिक, बालाघाट के जंगलों में अब केवल दीपक ही सक्रिय बचा है, जिसके सामने अब सरेंडर या मुठभेड़ के दो ही रास्ते हैं।



