कछुओं की मौत पर महामाया मंदिर ट्रस्ट कठघरे में, ट्रस्टियों ने कहा : बदनाम करने की साज़िश !

Mahamaya Temple Trust in the dock over the death of turtles, trustees said: Conspiracy to defame !

बिलासपुर। रतनपुर स्थित ऐतिहासिक महामाया मंदिर के पवित्र कुंड में दो दर्जन कछुओं की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। 25 मार्च को यह खबर सामने आते ही पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई। चूंकि मरे हुए कछुए ब्लैक सॉफ्टशेल प्रजाति के थे, जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 में सूचीबद्ध हैं, इसलिए इस मामले में न केवल वन विभाग ने जांच शुरू की बल्कि हाई कोर्ट ने भी स्वतः संज्ञान लिया।

हालांकि जांच अभी चल ही रही है, लेकिन उससे पहले ही महामाया मंदिर ट्रस्ट को सोशल मीडिया और कुछ स्थानीय हलकों में कठघरे में खड़ा कर दिया गया और ट्रस्ट पर यह आप लगेगी इस घटना में ट्रस्ट शामिल है। इससे आहत होकर ट्रस्ट अध्यक्ष आशीष सिंह ठाकुर, उपाध्यक्ष सतीश शर्मा, मुख्य पुजारी एवं मैनेजिंग ट्रस्टी पंडित अरुण शर्मा, कोषाध्यक्ष रितेश जुनेजा, ट्रस्टीगण और मंदिर से जुड़े सहयोगी आज प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुखातिब हुए और पूरे घटनाक्रम पर अपनी सफाई पेश की।

ट्रस्ट का कहना है कि इस मामले में उनके ऊपर लग रहे आरोप पूरी तरह गलत हैं और यह सब एक साज़िश का हिस्सा है ताकि मंदिर प्रबंधन की छवि को धूमिल किया जा सके।

प्रेस वार्ता में अध्यक्ष ठाकुर ने कहा, हम पर आरोप लगाने वाले पहले ये तो बताएं कि कछुए कुंड में आए कहां से? दर्शनार्थी सालों से यहां कछुए छोड़ते आए हैं, यह नया कुछ नहीं है। लेकिन अचानक 25 मार्च की सुबह मृत कछुए सामने आए, यह संयोग नहीं षड्यंत्र लगता है।

ट्रस्ट ने बताया कि फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की टीम जांच के लिए आई थी और ट्रस्ट ने उन्हें सीसीटीवी फुटेज, डीवीआर और अन्य जानकारियां मुहैया कराईं। ट्रस्ट की ओर से कोई भी जानकारी नहीं छुपाई गई।

मुख्य पुजारी अरुण शर्मा ने कहा कि मंदिर के कर्मचारी आनंद जायसवाल को कुंड में सफाई करने कहा गया था क्योंकि वहां से दुर्गंध आ रही थी। सफाई के दौरान निकली मछलियों को बाजार में बेचकर उसकी रकम ट्रस्ट में जमा भी कर दी गई।

गौरतलब है कि ब्लैक सॉफ्टशेल टर्टल एक संरक्षित प्रजाति है और इसका शिकार या प्राकृतिक मौत भी कानूनी संज्ञान में आती है। इसीलिए मामले की गंभीरता और बढ़ गई है। ट्रस्ट का कहना है कि यह मामला केवल कछुओं की मौत का नहीं, बल्कि उनके नाम को बदनाम करने की सोची-समझी चाल भी हो सकती है। मंदिर प्रबंधन का व्यवहार, आर्थिक पारदर्शिता और धार्मिक गतिविधियां हमेशा से संतुलित रही हैं, शायद यही कुछ लोगों को खटक गया।

देखें वीडियो कि तालाब से किस प्रकार मृत कछुआ को निकाला गया..