तेंदुए के पदचिन्हों ने खोला करोड़ों की सागौन तस्करी का राज !!

मोहला-मानपुर । छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर जिले में तेंदुए की मौजूदगी से जहां ग्रामीण दहशत में हैं, वहीं वन विभाग के लिए यह वन्य प्राणी ‘लकी चार्म’ साबित हुआ है. तेंदुए की तलाश में निकली वन विभाग की टीम ने उसके पदचिन्हों का पीछा करते हुए करोड़ों रुपये की सागौन तस्करी का बड़ा पर्दाफाश कर दिया. घटना ग्राम पंचायत पुत्तरगोंदी के अमलीडीह गांव की है, जहां वन अमले को तेंदुए की तलाश करते हुए अवैध रूप से जमा किए गए 70 सागौन के लट्ठे मिले, जिनकी कीमत करीब 2 लाख रुपये आंकी गई है.

तेंदुए के निशान ढूंढते-ढूंढते पहुंचे तस्कर की बाड़ी..

बीते कई दिनों से अमलीडीह गांव में तेंदुए की मौजूदगी देखी जा रही थी, जिससे ग्रामीणों में डर का माहौल था. इस पर पानाबरस वन विकास निगम के एसडीओ वीरेंद्र पटेल के नेतृत्व में वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची. टीम ने तेंदुए के पदचिन्हों का पीछा करना शुरू किया और यह उन्हें सीधे गांव के स्थानीय ग्रामीण अगनू राम कोरेटी की बाड़ी तक ले गया. तेंदुआ तो नहीं मिला, लेकिन वन अमले की नजर बाड़ी में रखे संदिग्ध लकड़ी के लट्ठों पर पड़ी.

70 सागौन लट्ठे जब्त, आरोपी से मांगे दस्तावेज..

जांच करने पर पता चला कि अगनू राम कोरेटी की बाड़ी में करीब 70 नग सागौन के लट्ठे अवैध रूप से रखे हुए थे. पूछताछ में अगनू राम ने दावा किया कि उसने ये सागौन अपने ही खेत से काटे हैं, लेकिन वह इसके लिए आवश्यक दस्तावेज—जैसे कटाई की अनुमति, भंडारण की स्वीकृति या राजस्व व वन विभाग की संस्तुति—प्रस्तुत नहीं कर पाया. ऐसे में सभी लकड़ियों को अवैध घोषित करते हुए जब्त कर लिया गया और उन्हें मोहला स्थित वन काष्ठागार में ले जाया गया.

2 लाख की लकड़ी, नहीं मिले दस्तावेज तो होगी कठोर कार्रवाई..

एसडीओ वीरेंद्र पटेल ने बताया कि जब्त किए गए लकड़ी के लट्ठों का माप किया जा रहा है. प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, जब्त लकड़ी की कीमत लगभग दो लाख रुपये आंकी गई है.

उन्होंने बताया कि मामले की जांच जारी है और यदि आरोपी अगनू राम द्वारा शीघ्र ही दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं, तो सागौन लट्ठों को राजसात कर लिया जाएगा और उसके खिलाफ भारतीय वन अधिनियम की धाराओं के तहत कानूनी कार्यवाही भी की जाएगी.

वन विभाग ने साफ किया है कि सागौन संरक्षित इमारती लकड़ी की श्रेणी में आता है, और इसका कटान चाहे वह निजी भूमि पर ही क्यों न हो बिना सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के गैरकानूनी है. इसके लिए राजस्व विभाग एवं वन विभाग दोनों की संयुक्त अनुमति आवश्यक होती है, जो इस मामले में नहीं ली गई थी.

संयोग से खुला राज, विभाग का सतर्कता अभियान उजागर..

यह एक अजीब संयोग ही था कि वन विभाग की टीम तेंदुए की तलाश में जिस दिशा में बढ़ी, उसी रास्ते में अवैध सागौन भंडारण का इतना बड़ा खुलासा हो गया. इस घटनाक्रम ने वन विभाग के सतर्कता अभियान की एक अलग तस्वीर पेश की है और साथ ही ग्रामीण इलाकों में हो रही अवैध लकड़ी कटाई और तस्करी की गंभीरता को भी उजागर किया है.

वन विभाग अब इस मामले में तथ्यों के आधार पर विस्तृत जांच कर रहा है और यह तय माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस पूरे नेटवर्क का भी पर्दाफाश हो सकता है. ग्रामीणों से भी अपील की गई है कि वे वन संसाधनों की रक्षा में विभाग का सहयोग करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तत्काल दें.