Journalism shining in coal: SECL’s ‘invite-only journalist gathering’!
बिलासपुर। शहर की पत्रकारिता में अब स्पॉटलाइट से ज़्यादा स्पॉट लिस्ट मायने रखती है। खबर है कि एसईसीएल ने हाल ही में एक प्रेस इवेंट का आयोजन किया – मगर इसे प्रेस कांफ्रेंस कहना वैसा ही है जैसे शादी को “पारिवारिक मुलाकात” कहा जाए।
इवेंट में शामिल होने वालों को देखकर ऐसा लगा मानो मीडिया जगत में भी अब ‘एलिट क्लब’ बन चुका है। बाकी पत्रकार बाहर खड़े सिर्फ यही सोचते रहे – “हमें क्यों नहीं बुलाया?” कुछ तो यह भी पूछ बैठे – “क्या RSVP करना था?”
एक वरिष्ठ पत्रकार ने कटाक्ष करते हुए कहा, “अब पत्रकारिता भी बॉलीवुड पार्टी जैसी हो गई है – जिनके पास पीआरओ का व्हाट्सएप है, वही अंदर जाते हैं। बाकी TRP बढ़ाने में लगे रहते हैं।”
कुछ पत्रकारों ने इस पूरी स्थिति की तुलना “ब्लैक एंड व्हाइट प्रेस सेलेक्शन” से की – जहाँ आमंत्रण नहीं, रिकमेंडेशन काम आता है।
इस बीच एसईसीएल की ओर से आया जवाब और भी चमकदार था – “प्रेसवार्ता नहीं थी, केवल एक इवेंट की कवरेज थी।” यानी जैसे होटल में शादी हो और दूल्हा कहे, “हम तो बस बुफे खाने आए थे।”
अब पत्रकार संघ इस इनवाइट सिस्टम को लोकतंत्र की ‘ब्लैक लिस्टिंग’ बता रहा है और अगली प्रेसवार्ता में पारदर्शिता की मांग को लेकर ज्ञापन की तैयारी कर रहा है।
नोट: अगली बार की कवरेज के लिए अब पत्रकारों को बायोमेट्रिक और बैकग्राउंड चेक के साथ P.R.O. का मूड भी देखना होगा।

