रायपुर, छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ में मजदूरों के कल्याण के लिए जमा किए गए पैसों को उनकी भलाई के बजाय अधिकारियों ने अपनी छवि चमकाने, लग्जरी दफ्तर बनाने और महंगी गाड़ियां व लैपटॉप खरीदने में खर्च कर दिया। यह बड़ा खुलासा भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक चौंकाने वाली रिपोर्ट में हुआ है। कैग की रिपोर्ट के अनुसार, 35.4 करोड़ रुपए की यह भारी रकम पूरी तरह से नियमों के खिलाफ खर्च की गई, जिसके बाद अब कैग ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला देते हुए इस राशि की वसूली करने की सिफारिश की है।
मजदूरों की बजाय खुद पर खर्च..
कैग की रिपोर्ट ‘भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल’ की जांच पर आधारित है, जो 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वर्ष के लिए तैयार की गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2017 से 2022 के बीच मंडल ने सिर्फ अनियमित विज्ञापनों पर ही 25.17 करोड़ रुपए फूंक दिए। यह पैसा मजदूरों के कल्याण कोष से निकाला गया, जिसकी भरपाई अभी तक नहीं हुई है। इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2.43 करोड़ रुपए सिर्फ दफ्तरों की साज सज्जा पर खर्च किए गए, जबकि यह पैसा मजदूरों के लिए था।
अपात्रों को बांटी साइकिल, नहीं मिला बीमा का लाभ..
कैग की रिपोर्ट में सिर्फ पैसों की बर्बादी का ही नहीं, बल्कि योजना में धांधली का भी खुलासा हुआ है। मुख्यमंत्री साइकिल सहायता योजना के तहत 2772 ऐसे श्रमिकों को साइकिल बांटी गई जो निर्धारित आयु सीमा से ऊपर थे और योजना के लिए पात्र नहीं थे।
इससे भी गंभीर बात यह है कि निर्माण मजदूर जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत 13 श्रमिकों की मौत के बाद उनका प्रीमियम जमा किया गया। इसके अलावा, 21 ऐसे श्रमिकों की मौत हो गई थी जिनका प्रीमियम उनके जीवित रहते ही जमा हो गया था, लेकिन उनके परिवार को 2 लाख रुपए का बीमा कवरेज नहीं मिला।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मोबाइल पंजीयन वैन योजना के तहत दूरदराज के इलाकों में शिविर भी नहीं लगाए गए, जिससे मजदूरों को पंजीकरण का लाभ नहीं मिल पाया। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सरकार पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मजदूरों का पैसा उनकी भलाई में क्यों नहीं खर्च हुआ।

