बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला लेवी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को बड़ी जीत मिली है। बिलासपुर हाईकोर्ट ने ईडी द्वारा आरोपियों की संपत्तियों की कुर्की को पूरी तरह वैध ठहरा दिया है। सूर्यकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया और उनके परिवार सहित अन्य आरोपियों द्वारा कुर्की के खिलाफ दायर सभी 10 याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस विभू दत्त गुरु की डबल बेंच ने 23 जुलाई 2025 को लंबी सुनवाई के बाद खारिज कर दीं।
ईडी का दावा है कि यह घोटाला बड़े अधिकारियों, कारोबारियों और नेताओं की मिलीभगत से हुआ था, जिसमें हर टन कोयले के परिवहन पर 25 रुपये की अवैध वसूली की जाती थी। इस अवैध उगाही से करीब 540 करोड़ रुपये जुटाए जाने का अनुमान है। ईडी ने इस मामले में सूर्यकांत तिवारी, सौम्या चौरसिया, आईएएस समीर विश्नोई और रानू साहू जैसे प्रमुख लोगों के खिलाफ कार्रवाई की थी। फरवरी 2025 में इस घोटाले से जुड़ी लगभग 49.73 करोड़ रुपये की 100 से अधिक संपत्तियों को कुर्क किया गया था।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि ईडी की यह कार्रवाई पूरी तरह सही और कानून के दायरे में है, तथा आरोपियों की याचिकाओं में कोई ठोस आधार नहीं मिला। इस फैसले से अब जांच एजेंसी के लिए घोटाले में और भी सख्ती से कार्रवाई करने का रास्ता खुल गया है। सूर्यकांत तिवारी और सौम्या चौरसिया के वकील फैजल रिजवी ने अपनी दलील में इस कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताया था, लेकिन कोर्ट ने उनकी दलीलों को स्वीकार नहीं किया।
यह फैसला घोटाले के आरोपियों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। ईडी अब इस मामले की और गहराई से जांच कर सकती है, जिससे अन्य प्रभावशाली लोगों पर भी शिकंजा कसने की संभावना बढ़ गई है।

