बिलासपुर । छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सहायक उप निरीक्षक चालक के पद पर चल रही पदोन्नति प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगा दी है। कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक डीजीपी और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल से इस मामले में जवाब तलब किया है। यह फैसला प्रधान आरक्षक महेंद्र सिंह कोरम की याचिका पर सुनवाई के बाद आया जिन्होंने पदोन्नति प्रक्रिया में अनियमितताओं का आरोप लगाया था। इस अंतरिम रोक से 29 प्रधान आरक्षकों की पदोन्नति पर फिलहाल तलवार लटक गई है।

रायपुर निवासी प्रधान आरक्षक महेंद्र सिंह कोरम जो 20वीं बटालियन परसदा महासमुंद में पदस्थ हैं उन्होंने अपने अधिवक्ता अब्दुल वहाब खान के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उनकी याचिका के मुताबिक छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल पुलिस मुख्यालय द्वारा 5 जून 2025 को वर्ष 2025 की पदोन्नति प्रक्रिया के तहत प्रधान आरक्षक चालक से सहायक उप निरीक्षक एमटी चालक पद के लिए योग्यता सूची जारी की गई थी। इसके आधार पर 27 जून 2025 को 29 प्रधान आरक्षकों को पदोन्नति देने का आदेश भी जारी कर दिया गया था।
याचिकाकर्ता महेंद्र सिंह कोरम ने 9 जून 2025 को डीजीपी के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि 5 जून को जारी योग्यता सूची में वरिष्ठता की गणना आमद तिथि के आधार पर की गई है जो विभागीय नियमों के विरुद्ध है। उनका कहना है कि यदि 2022 में 23 सितंबर को जारी योग्यता सूची के अनुसार नियमपूर्वक गणना होती तो उनका क्रमांक 30 से 35 के बीच आता। लेकिन नई सूची में उन्हें 47वें स्थान पर रखा गया है। इससे वरिष्ठता निर्धारण में बड़ी त्रुटि सामने आई है जिससे पूरी पदोन्नति प्रक्रिया संदिग्ध हो गई है।
न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए यह माना कि याचिका विचाराधीन है और पदोन्नति सूची पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। इसी आधार पर कोर्ट ने 27 जून को जारी पदोन्नति आदेश के निष्पादन पर अगले आदेश तक के लिए अंतरिम रोक लगा दी। साथ ही डीजीपी और एडीजी सशस्त्र बल से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा गया है। इस आदेश के बाद उन 29 कर्मचारियों की पदोन्नति पर भी अनिश्चितता की स्थिति बन गई है जिन्हें पदोन्नति दी जा चुकी थी।

