बिलासपुर। शहर में नवरात्रि के गरबा आयोजनों पर जीएसटी विभाग ने पहली बार सख्ती दिखाई है। करोड़ों के इस व्यावसायिक उत्सव पर नकेल कसते हुए विभाग ने कांग्रेस नेता आशीष अवस्थी और करुणा ग्रुप जैसे बड़े आयोजकों को नोटिस थमाया है। नोटिस में आय और व्यय के साथ जीएसटी रिटर्न का पूरा ब्योरा 7 दिनों के भीतर मांगा गया है, ऐसा न करने पर पेनल्टी और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। यह कदम शहर के 5 से 10 करोड़ रुपये के अनुमानित गरबा कारोबार पर टैक्स चोरी रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है, जहां टिकट और स्पॉन्सरशिप से मोटी कमाई हो रही है।

आयोजकों में हड़कंप, इन इवेंट्स पर भी खतरा..

जानकारी के अनुसार, जीएसटी विभाग ने नवरात्रि के चौथे दिन को यह नोटिस जारी किया, जिसके बाद आयोजकों में हड़कंप मच गया है। बिलासपुर में साइंस कॉलेज ग्राउंड सहित कई स्थानों पर बड़े गरबा पंडाल सजे हैं, जहां हजारों लोग पहुंच रहे हैं। सूत्रों का अनुमान है कि कई आयोजक जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं हैं या जानबूझकर टैक्स जमा नहीं कर रहे। करुणा ग्रुप के इवेंट में 18% जीएसटी लागू होने की संभावना है, खासकर अगर एंट्री फीस 500 रुपये से अधिक है।

विभाग ने अपने नोटिस में साफ कर दिया है कि गरबा जैसे सांस्कृतिक आयोजन अब कमर्शियल बिजनेस बन चुके हैं, लिहाजा इन पर टैक्स लगेगा। एक ग्रुप प्रतिनिधि ने कहा, “हम जीएसटी नियमों का पालन करने को तैयार हैं, लेकिन त्योहार के बीच अचानक नोटिस आने से व्यवस्था बिगड़ गई है।” अब छोटे से लेकर बड़े आयोजक तक अपने बहीखाते चेक करने में जुट गए हैं।
पुराने विवाद में नया मोड़ : गुजरात से सबक..
यह पहली बार नहीं है जब गरबा पर जीएसटी का साया पड़ा हो। 2022 में गुजरात में भी 18% टैक्स को लेकर बड़ा विवाद हुआ था। तब केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि सांस्कृतिक आयोजनों को छूट है, लेकिन जो इवेंट पूरी तरह से व्यावसायिक हो गए हैं, उन पर टैक्स लगेगा। बिलासपुर में भी अब यही फॉर्मूला लागू हो रहा है।
इधर, शोर और फूहड़पन का भी बवाल.. देखें वीडियो..
टैक्स के विवाद के बीच गरबा इवेंट्स पर एक और विवाद खड़ा हो गया है। साइंस कॉलेज ग्राउंड में देर रात तक अश्लील गाने बजने और ध्वनि प्रदूषण के गंभीर आरोप लगे हैं, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से शिकायत की है कि रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर बंद करने के नियमों का सरेआम उल्लंघन हो रहा है।

देखा जाए तो गरबा का आयोजन अब भक्ति और संस्कृति का कम, पैसा कमाने का धंधा ज्यादा बन गया है। एक तरफ मां दुर्गा की पूजा हो रही है, दूसरी तरफ सरकार को करोड़ों के टैक्स का चूना लगाया जा रहा है। ऐसे में जीएसटी का यह हथौड़ा आयोजकों के लिए सबक है कि अगर कारोबार करोड़ों का हो, तो हिसाब भी करोड़पति वाला ही देना पड़ेगा।
प्रशासन की चेतावनी : नियमों का पालन करें..
जिला प्रशासन ने सभी आयोजकों को साफ निर्देश दिए हैं कि जीएसटी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है, ध्वनि सीमा का पालन किया जाए और सुरक्षा सुनिश्चित हो। कलेक्टर ने कहा कि “नवरात्रि का आनंद लें, लेकिन कानून का उल्लंघन न करें।”
सूत्रों के मुताबिक,आने वाले दिनों में अन्य बड़े आयोजनों को भी नोटिस जारी हो सकते हैं।
क्या जीएसटी की यह सख्ती वाकई टैक्स अनुपालन बढ़ा पाएगी, या फिर यह गरबा के उत्साह पर ब्रेक लगाएगी? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

