Gaurela-Pendra-Marwahi: A mutilated body of a bear was found in the forest, suspicion of hunting..Questions raised on the negligence of the forest department, information about the case was received after a week..
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। मरवाही वनमंडल के उषाड़ बीट के जंगल में एक भालू का क्षत-विक्षत शव मिला है। शव मरवाही वनमंडल की सीमा पर पाया गया है। भालू के शव से कई महत्वपूर्ण अंग गायब हैं, जिसके चलते शिकार की आशंका जताई जा रही है। हैरानी की बात यह है कि वन विभाग के अधिकारियों को इस घटना की जानकारी हफ्ते भर बाद मिली।
शव मिलने के बाद की कार्रवाई..
मामले की जानकारी मिलते ही मरवाही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। वन विभाग के एसडीओ नोहर सिंह मरकाम ने बताया कि शव लगभग 15 दिन पुराना है और यह क्षत-विक्षत अवस्था में मिला है। शव से कई अंग गायब हैं, जिससे शिकार की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। फिलहाल, भालू के शव का पोस्टमार्टम करवाया जा रहा है, जिसके बाद मौत का सही कारण सामने आएगा।
वन विभाग की लापरवाही पर सवाल..
इस घटना ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भालू के शिकार होने की जानकारी अधिकारियों को एक हफ्ते बाद मिली, जो विभाग की लापरवाही को उजागर करता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वन विभाग के अधिकारी नियमित गश्त नहीं कर रहे हैं और ऑफिस में बैठकर जंगल की व्यवस्था देख रहे हैं। इस घटना से साफ जाहिर होता है कि मरवाही वनमंडल में जंगल राज चल रहा है, जहां लकड़ी तस्कर और वन्यजीव शिकारी बेरोकटोक सक्रिय हैं।
पिछली घटना ने भी उठाए थे सवाल..
बता दें कि करीब दो महीने पहले गंगनई नेचर कैंप सालेकोटा के जंगल में एक मादा भालू शिकारियों के जाल में फंस गई थी। स्थानीय युवकों ने भालू को जाल से निकालने की कोशिश की, लेकिन तब तक उसकी दम घुटने से मौत हो गई। हालांकि, मादा भालू के 8 महीने के नर शावक को सुरक्षित बचा लिया गया था। यह घटना भी वन विभाग की लापरवाही को उजागर करती है।
क्या कहता है कानून?
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत भालू का शिकार करना गैरकानूनी है और इसके लिए सजा का प्रावधान है। अगर शव के पोस्टमार्टम में शिकार की पुष्टि होती है, तो वन विभाग को तत्काल कार्रवाई करते हुए दोषियों को पकड़ने की जरूरत है। साथ ही, वन विभाग को जंगल में नियमित गश्त बढ़ाने और सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने की आवश्यकता है।

