Forest department’s sudden raid, precious wood found at Sarpanch sahab’s den???
गौरेला पेंड्रा मरवाही / जिले के ग्राम पंचायत खरड़ी से एक बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है। जहां के वर्तमान सरपंच चंद्रप्रीतम भैना अपनी राजनीतिक दांवपेंच पंचायत में कितना दिखाते हैं या नहीं पता नहीं , लेकिन वनविभाग के उड़नदस्ते टीम के खिलाफ राजनीतिक दांवपेंच का इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हुए। वनविभाग के उड़नदस्ते टीम को सूचना प्राप्त हुई थी कि खरड़ी सरपंच बेशकीमती इमारती लकड़ियों की तस्करी करता है।
मामले का तत्काल संज्ञान में लेते हुए वनमण्डल अधिकारी के निर्देशन एवं उपवनमण्डल के मार्गदर्शन पर उड़नदस्ता दल मरवाही एवं पेंड्रा रेंज के समस्त स्टॉप द्वारा आज ताबड़तोड़ कार्यवाही की गई। जिससे सरपंच महोदय क्षुब्द हो गए । आपको बता दे कि छापामार कार्यवाही के बाद सरपंच महोदय विभाग और विभाग से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों के ऊपर झूठा आरोप लगाने से पीछे नहीं हटे। इनकी नाराजगी की वजह शायद हजारों की बेशकीमती लकड़ी जप्त होना ही हो सकता है।
जप्त वनोपज :
1) साल पल्ला, लठ्ठा, चिरान, चौखट, खिड़की एवं हाथ आरा दो (2) नग , कुल 94 नग= 1.43 घमीटर
2) अनुमानित कीमत 50000/- पचास हजार रुपए ।
अब इतना कुछ बरामद होने के बाद तो सरपंच जी जैसे बड़े तस्कर का विभाग के ऊपर झूठा आरोप लगाना कोई बड़ी बात नहीं होगी। शायद उन्हें आगामी पंचायत चुनाव में फिर से सरपंच का चोला पहन कर खुलेआम तस्करी करने की उम्मीद हो लेकिन आमजन में चर्चाये आम है कि अब ग्राम वासियों के सामने उन्हें सफाई तो पेश करनी ही होगी, कोई चोर या तस्कर को अपना प्रतिनिधि या सरपंच बनाना चाहे भी यह बात अपने आप मे असम्भव प्रतीत होती है । शायद यही कारण रहा होगा कि सरपंच महोदय ने अपने आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए वन विभाग पर झूठे आरोप लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
मामला इतना संगीन होने के बाद चंद्रप्रीतम भैना को सरपंच बोलना शायद उचित नहीं क्योंकि इस तरह के बेशकीमती लकड़ी उनके घर से ही बरामद होना अपने आप में कई सवालों को जन्म देता है। जिसको लेकर महोदय को कहीं न कही एक तस्कर कहना शायद गलत प्रतीत नहीं होता है।

