सुप्रीम कोर्ट की पहल पर शिक्षा विभाग की नई गाइडलाइन, कुत्ता काटे तो स्कूल ले जाएगा अस्पताल..

रायपुर। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने बच्चों की सुरक्षा के लिए एक नई गाइडलाइन जारी की है। इसके तहत अब अगर किसी छात्र को आवारा कुत्ता काटता है, तो उसे तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाने की पूरी जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की होगी, ताकि बच्चे को समय पर प्राथमिक उपचार मिल सके। विभाग ने स्कूल के प्राचार्य या संस्था प्रमुख को नोडल अधिकारी बनाया है। नोडल अधिकारी को यह जिम्मेदारी दी गई है कि स्कूल परिसर या आसपास आवारा कुत्ता दिखने पर तुरंत इसकी सूचना ग्राम पंचायत, नगर निगम या डॉग कैचर को दें। यह आदेश प्रदेश के सभी स्कूलों में बच्चों के लिए सुरक्षित और भय-मुक्त माहौल बनाने के मकसद से लागू किया गया है।

गाइडलाइन में और क्या है खास..

स्कूल के प्राचार्यों और शिक्षकों से कुत्ते के काटने की स्थिति में नौ अलग-अलग बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है।

इसमें स्कूल का नाम, जिला, कुत्ते का प्रकार (मेल/फीमेल), रंग, और सबसे महत्वपूर्ण यह कि कुत्ता आवारा है या पालतू, इसकी जानकारी देनी होगी।

विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि स्कूल परिसर में कुत्तों का प्रवेश रोकने के लिए जरूरी उपाय किए जाएं।

शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के अधिकारियों, बीईओ (BEO), बीआरसी (BRC) और स्कूल प्रबंधन समितियों से कहा है कि वे इन निर्देशों का सख्ती से पालन करें और बच्चों की सुरक्षा को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दें।

विशेषज्ञों की राय और मांग..

कांग्रेस के पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने इस मामले में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और शिक्षा मंत्री गजेंद्र यादव को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि शिक्षक यह बड़ी जिम्मेदारी तभी निभा पाएंगे जब उन्हें कुत्तों के प्रकार और व्यवहार की पहचान के लिए डॉग ट्रेनर के निर्देशन में विशेष प्रशिक्षण दिया जाए।

पूर्व एसीएस और शिक्षाविद् बीकेएस रे ने कहा कि किसी भी नीति का पूरी तरह पालन कर पाना संभव नहीं है, लेकिन अगर कुत्ता काटता है तो स्कूल की जिम्मेदारी है कि वह बच्चे को सही इलाज में मदद करे। बीकेएस रे ने इसे स्कूलों के लिए एक बंधन नहीं बल्कि मार्गदर्शन बताया और कहा कि यह आदेश राज्य सरकार ने नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के बाद आया है, इसलिए जन-जागरूकता बहुत जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जारी हुई यह गाइडलाइन बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ा और जरूरी कदम है। यह आदेश स्पष्ट करता है कि सरकारी संस्थानों की जवाबदेही सिर्फ शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि शारीरिक सुरक्षा भी उनकी प्राथमिकता है। हालांकि, पूर्व विधायक उपाध्याय की प्रशिक्षण की मांग जायज है, क्योंकि शिक्षकों को कुत्तों के प्रकार और काटने की स्थिति से निपटने का ज्ञान होना चाहिए। शिक्षाविद् बीकेएस रे की यह बात महत्वपूर्ण है कि यह आदेश केवल एक मार्गदर्शन है, जिसका पालन करना संवेदनशीलता और जन-जागरूकता पर निर्भर करता है। इस आदेश को केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित न रखकर, जमीनी स्तर पर सख्ती से लागू करना एक बड़ी चुनौती होगी।