बिलासपुर, 22 अगस्त। देश की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले बिलासपुर जिले के सपूत शहीद वीरेंद्र कैवर्त को अब न्याय और सम्मान दिलाने के लिए समाज व पूर्व सैनिक एकजुट हो गए हैं। पूर्व सैनिक कल्याण संगठन, बिलासपुर और मछुआ (निषाद) समाज ने संयुक्त रूप से प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता कर वीर शहीद की स्मृति को अक्षुण्ण बनाए रखने की मांग दोहराई।
पूर्व सैनिक कल्याण संगठन के अध्यक्ष दत्तात्रेय यादव ने बताया कि वीरेंद्र कैवर्त भारतीय सेना की 225वीं मीडियम रेजीमेंट (तोपखाना) के सदस्य थे और 62 राष्ट्रीय राइफल्स में डेपुटेशन पर तैनात थे। 15 सितंबर 2006 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले के रेबन गांव में आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान आईईडी विस्फोट में वह वीरगति को प्राप्त हुए।
शहीद वीरेंद्र के गृहग्राम नरगोड़ा (सीपत) में पिछले 18 वर्षों से हर साल उनकी शहादत पर श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया जाता रहा है। अब समाज और संगठन मांग कर रहे हैं कि गांव में स्थायी स्मारक स्थापित किया जाए और किसी शासकीय विद्यालय अथवा खेल मैदान का नाम शहीद वीरेंद्र कैवर्त के नाम पर किया जाए, ताकि नई पीढ़ी उनके बलिदान से प्रेरणा ले सके।
जिला निषाद समाज के अध्यक्ष हर प्रसाद निषाद ने कहा कि वीरेंद्र कैवर्त की शहादत समाज के लिए गौरव की बात है और उनका स्मारक बिलासा दाई की नगरी में होना चाहिए। उन्होंने बताया कि शासन, प्रशासन और नगर निगम को इस आशय के कई आवेदन दिए गए हैं।
सकारात्मक पहल के तहत जिला प्रशासन के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने नरगोड़ा शासकीय विद्यालय का नाम शहीद वीरेंद्र केवट के नाम पर करने की प्रक्रिया शुरू की है, जहां उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी।
इस प्रेस वार्ता में पूर्व सैनिक संगठन के जयराम सिंह, मुकेश साहू, विजय कौशिक, रवि गोपाल, मोहनलाल जांगड़े, राजकुमार कोसले, तथा मछुआ समाज के उपाध्यक्ष बीएस निषाद और जिला अध्यक्ष दीप कैवर्त भी उपस्थित थे।
इस वर्ष 19वें शहादत दिवस के अवसर पर 15 सितंबर को नरगोड़ा में भव्य श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसमें आम जनमानस से शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित करने की अपील की गई है।

