न्यूयॉर्क। अमेरिका में हुए एक नए और चौंकाने वाले शोध में यह दावा किया गया है कि एक लीटर बोतलबंद पानी में करीब 25 लाख माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक्स के कण पाए जाते हैं। ये कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें खुली आंखों से देखना नामुमकिन है।

कोलंबिया और रटगर्स जैसे प्रतिष्ठित अमेरिकी विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने पहली बार डबल लेजर माइक्रोस्कोप तकनीक का इस्तेमाल कर इनका पता लगाया और उन्हें वर्गीकृत किया है।
शोधकर्ताओं ने ही कम कर दिया बोतलबंद पानी का इस्तेमाल..
वैज्ञानिक लंबे समय से सिर्फ यह अनुमान लगा रहे थे कि बोतलबंद पानी में प्लास्टिक के सूक्ष्म टुकड़े मौजूद हो सकते हैं। लेकिन उन्हें इनकी वास्तविक संख्या और स्वरूप के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
इस चौंकाने वाली खोज के बाद, खुद शोधकर्ताओं ने बोतलबंद पानी का इस्तेमाल कम कर दिया है।
- उत्पत्ति : कोलंबिया के फिजिकल केमिस्ट और अध्ययन के प्रमुख नाइक्सिन कियान ने बताया कि ऐसा लगता है कि अधिकांश प्लास्टिक बोतल से ही आ रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि रिवर्स ऑस्मोसिस झिल्ली फिल्टर का इस्तेमाल अन्य दूषित पदार्थों को दूर रखने के लिए किया जाता है।
- पुराने अध्ययन : पिछले अध्ययनों में सिर्फ थोड़े बड़े माइक्रोप्लास्टिक्स पर ध्यान दिया गया था, जो 5 मिलीमीटर से लेकर एक माइक्रोन तक के होते हैं।
- स्रोत : शोधकर्ताओं ने बोतलबंद ब्रांडों के नामों का खुलासा नहीं किया, लेकिन इतना ज़रूर बताया कि पानी की बोतलें अमेरिकी सुपरमार्केट वॉलमार्ट से खरीदी गई थीं।
क्या ये नैनोप्लास्टिक्स हैं खतरनाक? अभी रिसर्च जारी
शोधकर्ता अभी इस सबसे बड़े सवाल का जवाब नहीं दे पाए हैं कि क्या नैनोप्लास्टिक के ये टुकड़े हानिकारक हैं या नहीं। - खतरे की आशंका : अध्ययन के सह लेखक और रटगर्स के विष विज्ञानी फोबे स्टेपलटन ने कहा कि अभी रिसर्च जारी है। उन्होंने माना कि नैनोप्लास्टिक इंसान सहित सभी स्तनधारियों के टिश्यू में घुस रहा है। वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि ये नैनोप्लास्टिक इंसान की कोशिकाओं में क्या कर रहे हैं।
- खुद किया बदलाव : अध्ययन के सभी चारों सह लेखक अब बोतलबंद पानी का उपयोग कम कर रहे हैं। डबल लेजर माइक्रोस्कोप तकनीक की शुरुआत करने वाले कोलंबिया के भौतिक रसायनज्ञ वेई मिन ने बताया कि उन्होंने बोतलबंद पानी का उपयोग आधा कर दिया है। वहीं, स्टेपलटन अब न्यू जर्सी में अपने घर पर फिल्टर किए गए पानी पर ज़्यादा निर्भर हैं।
- फिल्टर में भी खतरा : हालांकि, अध्ययन के एक अन्य सह लेखक, कोलंबिया के पर्यावरण रसायनज्ञ बेइज़ान यान ने चेतावनी दी कि फिल्टर में भी प्लास्टिक लगा होता है, इसलिए वहां से भी पानी में नैनोप्लास्टिक के आने की आशंका बनी रहती है।
- यूनाइटेड नेशंस एनवायरमेंट के अनुसार, दुनिया हर साल 430 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन करके प्लास्टिक प्रदूषण के बोझ तले डूब रही है। महासागरों, भोजन और पीने के पानी में माइक्रोप्लास्टिक्स पाए जाते हैं, जो कपड़ों और सिगरेट फिल्टर जैसे स्रोतों से भी आते हैं। प्लास्टिक कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली अमेरिकन केमिस्ट्री काउंसिल ने इस मसले पर तुरंत कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया है।
- बाहरी विशेषज्ञों ने भी इस अध्ययन की तारीफ की है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि महीन प्लास्टिक कणों के खतरों पर परेशान होना स्वाभाविक है, पर निश्चित रूप से कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी।

