
रायपुर: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान भाजपा ने शासकीय सेवकों से कई वादे किए थे जिन्हें ‘मोदी की गारंटी’ का नाम दिया गया था लेकिन ये वादे अब तक पूरे नहीं हो पाए हैं। इन वादों को पूरा करवाने के लिए छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने अब आंदोलन की घोषणा कर दी है। 16 जुलाई से पूरे राज्य में आंदोलन किया जाएगा। फेडरेशन का कहना है कि सरकार बनने के बाद इन वादों के क्रियान्वयन पर चुप्पी कर्मचारियों में भारी आक्रोश का कारण बनी हुई है।

फेडरेशन के अनुसार विधानसभा चुनाव के समय प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनरों को केंद्र के समान डीए डीआर देने लंबित डीए एरियर्स को जीपीएफ खाते में समायोजित करने अनियमित संविदा दैनिक वेतन भोगी अतिथि शिक्षक आदि संवर्गों के नियमितीकरण और सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने का वादा किया गया था। इसके अतिरिक्त लिपिकों सहायक शिक्षकों और अन्य संवर्गों के लिए गठित पिंगुआ कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करने पंचायत सचिवों का शासकीयकरण करने और मितानिनों रसोइयों व सफाई कर्मचारियों के मानदेय में 50 प्रतिशत वृद्धि सहित कई अन्य मुद्दों का वादा किया गया था।
फेडरेशन ने यह भी बताया कि उन्होंने चार स्तरीय समयमान वेतनमान सहायक शिक्षकों और सहायक पशु चिकित्सा अधिकारियों को तृतीय समयमान वेतनमान अर्जित अवकाश 240 दिन के स्थान पर 300 दिन करने और कैशलेस सुविधा उपलब्ध कराने जैसे कई मुद्दों पर राज्य सरकार को समय समय पर ज्ञापन दिया है। लेकिन सरकार कर्मचारियों के मुद्दों को लगातार नजरअंदाज कर रही है। फेडरेशन ने एक बार फिर 11 सूत्रीय ज्ञापन राज्य सरकार को सौंपा है।
अब छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने छत्तीसगढ़ शासन को ‘मोदी की गारंटी’ लागू करने का नोटिस दिया है।
फेडरेशन की बैठक में तय हुआ है कि पहले चरण में 16 जुलाई को राज्य के सभी ब्लॉक और जिलों में रैली निकालकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा। फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा बी पी शर्मा राजेश चटर्जी जी आर चंद्रा चंद्रशेखर तिवारी रोहित तिवारी और संजय सिंह ठाकुर ने बताया कि पहले चरण में 16 जुलाई को सभी ब्लॉक और जिला मुख्यालयों में ‘वादा निभाओ रैली’ के माध्यम से कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया जाएगा।

