Do these remedies on the day of Papankusha Ekadashi, the blessings of Lord Vishnu and Mother Lakshmi will remain, happiness and prosperity will come to your home.. Read Papankusha Ekadashi Vrat Katha..

बिलासपुर / हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत रखा जाता है।अश्विन माह में आने वाली एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते हैं।मान्यता है कि इस दिन मां विधि विधान से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख- समृद्धि बनी रहती है। मान्यता यह भी है कि इस दिन कुछ उपाय करने से व्यक्ति के पापों और दुखों का नाश होता है।
पापांकुशा एकादशी के उपाय..
भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी का बहुत महत्व है, इसलिए पापांकुशा एकादशी को शाम के समय तुलसी के नीचे घी का दीपक जलाएं। उसके बाद ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करते हुए आप तुलसी की 11 परिक्रमा करें। ऐसा करने व्यक्ति को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पूरे होंगे रुके काम..
अगर बहुत से समय से कोई काम रुका हुआ है।तो पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के आगे घी का दीपक लें। उसके बाद पूर्व दिशा में मुख करके भगवद गीता के 11वें अध्याय का पाठ करें। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के रुके हुए काम पूरे होते हैं। इसके साथ ही रुका हुआ धन भी वापस मिल जाता है।
धन से जुड़ी समस्या..
पापांकुशा एकादशी के दिन वस्त्र, अन्न-धन, तुलसी के पौधे, मोर पंख और कामधेनु की मूर्ति का दान करना बहुत ही अच्छा माना जाता है। इसके साथ ही विष्णु जी का केसर घुले हुए दूध से अभिषेक करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती और घर में हमेशा खुशहाली रहती है।
करियर-कारोबार में तरक्की..
अगर किसी व्यक्ति को नौकरी नहीं मिल रही या कारोबार में तरक्की रुक गई है तो ऐसे में एकादशी के दिन भगवान विष्णु के सामने नौ मुखी दीपक की अखंड ज्योति जलाएं और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को सौंफ अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से करियर और कारोबार में आ रही सभी परेशानियां दूर होती हैं।
वैवाहिक जीवन में खुशहाली..
एकादशी के दिन दूध से बनी खीर में तुलसी डालकर भगवान विष्णु को पूजा में चढ़ाएं।मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन का कलह दूर होता है और खुशहाली बनी रहती है।
पापांकुशा एकादशी का महत्व..
पापांकुश एकदशी के दिन भगवान विष्णु की पूजन और व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली बनी रहती है।मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से मानसिक शांति, संतान, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।इसके अलावा व्यक्ति को सभी पाप दूर होते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पापांकुशा एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त और पारण समय..
अश्विन शुक्ल एकादशी तिथि का शुभारंभ: 13 अक्टूबर, रविवार, सुबह 9:08 बजे से
अश्विन शुक्ल एकादशी तिथि का समापन: 14 अक्टूबर, सोमवार, सुबह 6:41 बजे पर
रवि योग: 13 अक्टूबर को सुबह 6:21 बजे से 14 अक्टूबर को तड़के 2:51 बजे तक
ब्रह्म मुहूर्त: 04:41 ए एम से 05:31 ए एम तक
अभिजीत मुहूर्त: 11:44 ए एम से 12:30 पी एम तक
पापांकुशा एकादशी व्रत का पारण समय: 14 अक्टूबर, सोमवार, दोपहर 1:16 बजे से 3:34 बजे तक
हरि वासर का समापन: 14 अक्टूबर, दिन में 11:56 बजे तक
पापांकुशा एकादशी व्रत कथा..
एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से अश्विन शुक्ल एकादशी व्रत की महिमा के बारे में बताने का निवेदन किया।इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि इसका नाम पापांकुशा एकादशी है। जो भी व्यक्ति पापांकुशा एकादशी व्रत रखता है, उसके समस्त पाप और दोष विष्णु कृपा से मिट जाते हैं।इस दिन भगवान पद्मनाभ की पूजा करते हैं।उनके आशीर्वाद से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वह जीवन के अंत में स्वर्ग जाता है।इतना बताने के बाद श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा सुनाई, जो कुछ इस प्रकार से है-
एक समय की बात है। विंध्य पर्वत पर एक बहेलिया रहता था, जिसका नाम क्रोधन था। वह पापी और अधर्मी व्यक्ति था, जो हिंसा करता था और बड़ा ही निर्दयी था।उसका पूरा जीवन इस प्रकार से ही व्यतीत हुआ था। समय के साथ वह भी अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंचा।अंत समय से एक दिन पूर्व यमराज के दूतों ने उसे बताया कि कल उसके जीवन का अंतिम दिन है, कल वे आकर प्राण हर लेंगे और उसकी आत्मा को साथ लेकर जाएंगे।
यमदूतों के इस संदेश से क्रोधन बहेलिया डर गया।वह काफी दुखी भी था।नरक के कष्ट और यमदूतों की यातनाओं से बचने के लिए वह वन में अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंच गया। उसने अंगिरा ऋषि को प्रणाम किया और अपने साथ घटी उस घटना को बताया।उसने अंगिरा ऋषि से कहा कि वह पूरे जीवन पाप और अधर्म ही किया है।वह इससे मुक्त होना चाहता है।इसके लिए आप कुछ ऐसे उपाय बताएं, जिससे वह पापमुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त कर ले।
इस पर अंगिरा ऋषि ने उससे कहा कि तुम पापांकुशा एकादशी का व्रत करो और विधि विधान से पूजा करो। यह एकादशी का व्रत अश्विन शुक्ल एकादशी तिथि को रखा जाएगा।इस व्रत को करने से तुम्हारे पाप मिट जाएंगे और विष्णु कृपा से मोक्ष प्राप्त हो सकेगा। इतना सुनकर वह बहेलिया खुश हो गया।उसने अंगिरा ऋषि को प्रणाम किया और घर आ गया।
अश्विन शुक्ल एकादशी आने पर क्रोधन बहेलिया ने अंगिरा ऋषि के बताए अनुसार ही पापांकुशा एकादशी व्रत रखा।विधि विधान से पूजा की और रात में जागरण किया।अगले दिन उसने पारण करके व्रत को पूरा किया। पापांकुशा एकादशी व्रत के पुण्य प्रभाव और श्रीहरि की कृपा से उस बहेलिया के सभी पाप और दोष मिट गए।जीवन के अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।
पापांकुशा एकादशी के दिन अन्न, जल, सोना, तिल, छाता आदि का दान किया जाता है. जो लोग इस व्रत को विधि विधान से करते हैं, उनको भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।

