रायपुर। अचानकमार टाइगर रिजर्व के सिहावल हाथी कैंप में 3 नर और 1 मादा हाथी का सफल संरक्षण और संवर्धन न केवल इस क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि यह वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इस रिजर्व में इन हाथियों का उपयोग वन क्षेत्रों में गश्त, टाइगर मॉनिटरिंग, और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए किया जा रहा है।
मादा हाथी ‘लाली’ को 2010 में अम्बिकापुर के रमकोला वन क्षेत्र से लाया गया था, जबकि नर हाथी ‘राजू’ 2013 में राजनांदगांव वनमंडल से यहां लाया गया। इन दोनों हाथियों ने 2019 और 2023 में सिहावल कैंप में क्रमशः ‘सावन’ और ‘फागू’ नामक नर हाथियों को जन्म दिया। इस प्रकार यह परिवार अचानकमार टाइगर रिजर्व की गश्त और मॉनिटरिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
राजू नर हाथी ने न केवल अचानकमार टाइगर रिजर्व में, बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न वनमंडलों में भी अपनी सेवाएँ दी हैं। उसने आबादी क्षेत्र में भटककर आए जंगली हाथियों को वापस वन क्षेत्र में भेजने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस प्रक्रिया से मानव और हाथी के बीच के द्वंद को कम करने में काफी सफलता मिली है। पिछले कुछ वर्षों से जंगली हाथियों ने भी अचानकमार टाइगर रिजर्व को अपना ठिकाना बना लिया है, और इनकी मॉनिटरिंग के लिए विशेष हाथी मित्र दल का गठन किया गया है।
सिहावल में रखे गए इन हाथियों की देखभाल का जिम्मा शिवमोहन राजवाड़े महावत और उनकी टीम के हाथों में है। इनका स्वास्थ्य नियमित रूप से कानन पेण्डारी जूलाजिकल गार्डन के पशु चिकित्सक डॉ. पी. के. चंदन द्वारा जांचा जाता है, और उनके आहार का प्रबंधन भी उनकी गाइडलाइन्स के अनुसार किया जाता है। सिहावल सागर में हाथियों के लिए बारहमासी जल उपलब्ध है और उनके लिए प्रोफाइल शेड भी तैयार किया गया है, जो उनकी आरामदायक रहवास की सुविधा प्रदान करता है।
अचानकमार टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक मनोज पांडेय और उप संचालक गणेश यू.आर. समय-समय पर इन हाथियों के कैंप का निरीक्षण करते हैं और आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि हाथियों की देखभाल और मॉनिटरिंग प्रभावी ढंग से हो रही है।
सिहावल में रखे गए ये हाथी न केवल अचानकमार टाइगर रिजर्व, बल्कि छत्तीसगढ़ के अन्य वनमंडलों में भी टाइगर मॉनिटरिंग और मानव-हाथी द्वंद को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इनके संरक्षण और संवर्धन से न केवल वन्यजीव संरक्षण को बल मिला है, बल्कि यह मानव और वन्यजीव के बीच सामंजस्य स्थापित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।

