रायपुर : छत्तीसगढ़ को हरित राज्य बनाने की दिशा में सरकार और समाज ने मिलकर एक बड़ा कदम उठाया है। रायपुर में भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) और ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया (TRI) के साझा प्रयास से पांचवां भारत ग्रामीण संवाद 2025 सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में ‘गांवों के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की हरित आर्थिक बदलाव की यात्रा’ विषय पर गहन चर्चा हुई। इसमें उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने वर्चुअली जुड़कर कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि अगर हम गांवों के पारंपरिक ज्ञान और संसाधनों का सही उपयोग करें, तो हम पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ ग्रामीण जीवन को भी बेहतर बना सकते हैं। उन्होंने जोर दिया कि जैविक खेती, सौर ऊर्जा और स्थानीय स्तर पर रोजगार पैदा करके छत्तीसगढ़ को एक हरित राज्य बनाया जा सकता है।
वन विभाग और टी आर आई के बीच हुआ समझौता..

इस मौके पर वन विभाग और ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया संस्था के बीच हरित बदलाव के लिए एक एमओयू (समझौता पत्र) पर भी हस्ताक्षर किए गए। कार्यक्रम के दौरान आईआईएम रायपुर ने हरित विकास के लिए पांच मुख्य स्तंभों पर जोर दिया :
पारंपरिक खेती और वन संसाधनों का संरक्षण।हरित रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा।
हरित रोजगार और पर्यटन को बढ़ावा।
स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहन।
सौर ऊर्जा आधारित ग्राम विद्युत प्रबंधन में सबकी भागीदारी।
नई नीतियों और संस्थागत ढांचों का निर्माण।
अधिकारियों ने रखी अपनी बात..
कार्यक्रम में कई वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने विचार रखे। वन विभाग की अपर मुख्य सचिव ऋचा शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ अपनी प्राकृतिक संपदा और जनभागीदारी से हरित विकास का एक बेहतरीन मॉडल पेश कर सकता है। पंचायत विभाग की प्रमुख सचिव निहारिका बारिक सिंह ने कहा कि ग्राम पंचायतें इस बदलाव की धुरी बनेंगी और महिलाएं इसमें नेतृत्व करेंगी।
पंचायत विभाग के सचिव भीम सिंह ने बताया कि अब पंचायतों का मूल्यांकन जल संरक्षण, स्वच्छता और हरित मानकों के आधार पर होगा। वहीं, सुशासन अभिसरण विभाग के सचिव राहुल भगत ने कहा कि अब हरित अर्थव्यवस्था को सिर्फ सरकारी योजना न मानकर समुदाय को इसका मुख्य हिस्सा बनाना होगा।
इस संवाद में पंचायत प्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, महिलाओं, उद्यमियों और विशेषज्ञों ने जल संरक्षण, पारंपरिक बीजों की उपलब्धता, वनों की कटाई, कचरा प्रबंधन और रासायनिक खेती जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की। विशेषज्ञों ने गांवों के पारंपरिक उद्योगों को फिर से जिंदा करने और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने का भी सुझाव दिया।

