उदंती-सीतानदी टाइगर रिज़र्व बना तितलियों का नया गढ़, हिमालयी क्षेत्र की दुर्लभ प्रजाति ‘Papilio paris’ की उपस्थिति ने बढ़ाई उम्मीदें..

गरियाबंद , छत्तीसगढ़। भारत के जैव विविधता मानचित्र पर एक अनोखी घटना सामने आई है। छत्तीसगढ़ स्थित उदंती-सीतानदी टाइगर रिज़र्व (USTR) में अब हिमालयी क्षेत्र की दुर्लभ और आकर्षक तितली ‘कॉमन बैंडेड पीकॉक’ (Papilio paris) देखी गई है। यह वही प्रजाति है जिसे हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने ‘राज्य तितली’ घोषित किया है।
यह खोज न केवल उदंती-सीता नदी टाइगर रिजर्व (USTR) की जैविक समृद्धि को दर्शाती है, बल्कि यह इस संभावना को भी मजबूत करती है कि यह टाइगर रिज़र्व तितलियों के प्राकृतिक संरक्षण और अनुसंधान के लिए एक नए राष्ट्रीय केंद्र के रूप में उभर सकता है।
उत्तराखंड की उड़ान : ‘कॉमन बैंडेड पीकॉक’ बनी राज्य तितली..

उत्तराखंड ने ‘कॉमन बैंडेड पीकॉक’ को राज्य तितली घोषित कर, जैव विविधता संरक्षण और पर्यावरणीय चेतना की दिशा में एक प्रेरणास्पद पहल की है। यह तितली अपनी नीले-हरे रंग की चमकदार आभा और विस्तृत पंखों के कारण न केवल आकर्षक है, बल्कि संवेदनशील हिमालयी पारिस्थितिकी का भी प्रतीक है।
विशिष्ट व दुर्लभ प्रजातियों का संरक्षण,आमजन में प्रकृति के प्रति जागरूकता,इको-टूरिज्म को प्रोत्साहन,छात्रों और शोधकर्ताओं को अनुसंधान के अवसर प्रदान करती हैं।
भारत में लगभग 1300 तितली प्रजातियाँ पाई जाती हैं, और “कॉमन बैंडेड पीकॉक” विशेष रूप से हिमालयी पट्टी में देखी जाती थी। अब इसका उदंती-सीता नदी टाइगर रिजर्व (USTR) में पाया जाना, जैविक सीमा विस्तार और जलवायु सहनशीलता की एक नई कड़ी प्रस्तुत करता है।
उदंती-सीता नदी टाइगर रिजर्व (USTR) : तितलियों की विविधता का जीवंत केंद्र..
छत्तीसगढ़ का उदंती-सीतानदी टाइगर रिज़र्व अब सिर्फ बाघों और हाथियों के लिए नहीं, बल्कि तितलियों के लिए भी स्वर्ग बनता जा रहा है। यहाँ का पारिस्थितिक तंत्र बहती नदियाँ, प्राकृतिक जलधाराएँ, तालाब, और सघन वन तितलियों के जीवन चक्र, प्रजनन और पोषण के लिए आदर्श परिस्थितियाँ प्रदान करता है।
जल स्रोत और तितलियाँ : प्रकृति का सुंदर सहसंबंध..
सीतानदी और उदंती नदी तथा जंगल में फैले प्राकृतिक जलस्रोत तितलियों को पराग,नमी,खनिज आदि सुरक्षित आश्रय प्रदान करते हैं।ये सभी तत्व तितलियों के प्रजनन व जीवनचक्र के लिए अनिवार्य हैं।
🦋 उदंती-सीता नदी टाइगर रिजर्व (USTR) में पाई जाने वाली प्रमुख तितलियाँ..

बैंडेड पीकॉक (Banded Peacock),ब्लू मॉरमॉन, कॉमन मॉरमॉन,कॉमन जे, नवाब, राजा,ब्लू टाइगर, वांडरर, ग्रास ब्लू,कॉमन पैंसी, कॉमन ईवनिंग ब्राउन आदि बहुत सी प्रजाति की सुंदर तितलियां हैं।


ये तितलियाँ न केवल पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, बल्कि क्षेत्र की जैविक समृद्धि का भी संकेत देती हैं।
उदंती-सीता नदी टाइगर रिजर्व (USTR) में तितली अनुसंधान की संभावनाएँ..
यह क्षेत्र आज भी कई अज्ञात या वैज्ञानिक दृष्टि से कम ज्ञात तितली प्रजातियों का घर हो सकता है। इसकी विशेष जलवायु, विविध वनस्पतियाँ और शांत वातावरण शोधकर्ताओं और तितली विशेषज्ञों के लिए एक आदर्श फील्ड स्टडी क्षेत्र है।
प्रकृति प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए एक स्वर्ग..

उदंती-सीता नदी टाइगर रिजर्व (USTR), उन लोगों के लिए एक जीवंत चित्रशाला है जो वन्यजीव फोटोग्राफी,तितलियों के जीवन या प्रकृति की शांति में रुचि रखते हैं। यहाँ सूर्य की रोशनी में उड़ते हुए बहुरंगी पंखों को देखना एक अद्वितीय अनुभव है।
तितलियों का आहार : प्रकृति से ऊर्जा का संबंध
फूलों का पराग – प्रमुख ऊर्जा स्रोत
सड़े-गले फल – जैसे केला, संतरा, सेब
पेड़ों का रस – फूल न होने की स्थिति में
कीचड़युक्त जल स्रोत – खनिज व नमक के लिए, विशेष रूप से नर तितलियाँ
संरक्षण की दो मिसालें, एक साझा भविष्य..
जहाँ उत्तराखंड ने ‘कॉमन बैंडेड पीकॉक’ को राज्य तितली का दर्जा देकर एक दूरदर्शी उदाहरण प्रस्तुत किया है, वहीं छत्तीसगढ़ का उदंती -सीता नदी टाइगर रिजर्व (USTR) अब न केवल बाघों और हाथियों के साथ – साथ तितलियों के लिए भी राष्ट्रीय धरोहर के रूप में सामने आ रहा है।
दोनों राज्यों की ये पहल पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता संवर्धन और जन-संवेदनशीलता की दिशा में मॉडल दृष्टिकोण के रूप में उभर रही हैं।

