छत्तीसगढ़ : अंधविश्वास का कहर ! झोलाछाप डॉक्टर और झाड़फूंक से 3 दिन में एक ही परिवार के 3 बच्चों की दर्दनाक मौत..

गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में अंधविश्वास और झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराने के चलते एक ही परिवार के तीन मासूम बच्चों की तीन दिन के भीतर मौत हो गई। घटना अमलीपदर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के तहत आने वाले ग्राम धनौरा की है, जहां मजदूरी करने वाले डमरूधर नागेश के 8 वर्षीय बेटी अनिता, 7 वर्षीय बेटे ऐकराम और 4 वर्षीय बेटे गोरेश्वर की 11 से 13 नवंबर के बीच जान चली गई।

परिवार ने बच्चों को तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल ले जाने के बजाय झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराया और झाड़फूंक करवाते रहे। स्वास्थ्य विभाग ने अब मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है।

मामले का संक्षिप्त विवरण..

धनौरा निवासी डमरूधर नागेश परिवार के साथ उदंती अभ्यारण्य क्षेत्र में स्थित अपने ससुराल साहेबीन कछार में मक्का तोड़ने गया था। वहीं उसके बच्चों को सर्दी खांसी और बुखार की शिकायत हुई, जिस पर उसने एक झोलाछाप डॉक्टर से इलाज कराया। गांव लौटने के बाद भी परिवार ने अस्पताल जाने के बजाय झाड़फूंक जारी रखी। मितानिन ने अस्पताल में इलाज कराने की सलाह दी, लेकिन नागेश परिवार नहीं माना।

सबसे पहले 11 नवंबर को 8 साल की बेटी अनिता की मौत हो गई। इसके बाद 13 नवंबर को 7 साल के बेटे ऐकराम नागेश ने दम तोड़ा और इसी दिन कुछ ही घंटों बाद 4 साल के बेटे गोरेश्वर नागेश की भी मौत हो गई।

अमलीपदर शासकीय अस्पताल के डॉ. रमाकांत ने जानकारी दी कि जब बच्चों को अस्पताल लाया गया तो उनकी पहले ही मौत हो चुकी थी।

उन्होंने बताया कि परिजनों ने पूछताछ में सर्दी खांसी और बुखार होने पर बैगा गुनिया से इलाज कराने की बात कबूल की। उन्होंने यह भी बताया कि सीएचओ ने भी अस्पताल में इलाज कराने की सलाह दी थी, लेकिन परिजन नहीं माने। बच्चे की तबीयत जब ज्यादा बिगड़ी तो उसे अस्पताल लाया जा रहा था, लेकिन वह बचा नहीं जा सका।

स्वास्थ्य अधिकारी यू एस नवरत्न ने इस गंभीर मामले की जांच के लिए तुरंत ही एक तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया है। टीम ने गांव पहुंचकर घटना की जांच शुरू कर दी है।

गौरतलब है कि इसी गांव में इससे पहले भी झाड़फूंक के चक्कर में एक ही परिवार के दो लोग सांप के काटने के बाद अस्पताल न जाकर इलाज के अभाव में जान गंवा चुके हैं।