CGMSC का “घोटाला” और पैरासिटामोल का इंतजार : जब मरीजों को बाहर से खरीदनी पड़ी अपनी दवा..

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में आजकल एक अजीब सी खामोशी है। यह खामोशी दवाइयों के शेल्फ में है, जहां पैरासिटामोल जैसी सबसे आम दवा भी गायब है। यह कोई सामान्य कमी नहीं, बल्कि एक बड़े घोटाले की कड़वी कीमत है, जो आज राज्य के गरीब और मध्यम वर्गीय मरीज चुका रहे हैं।

यह कहानी शुरू होती है छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन (CGMSC) से, जिसका काम राज्य के लिए दवाएं और उपकरण खरीदना है। यहां हुए करोड़ों रुपये के खरीदी घोटाले ने पूरी व्यवस्था को ऐसा जाम किया कि पिछले करीब दो साल से नए खरीद के लिए टेंडर (निविदाएं) खुल ही नहीं पाए हैं।

दो साल का इंतजार, बंद दरवाजे..

कल्पना कीजिए, अस्पताल को दवाओं की सख्त जरूरत है, लेकिन खरीद की फाइलें 614 दिनों से धूल फांक रही हैं। सीजीएमएससी ने दवा और उपकरणों की खरीद के लिए कुल 16 टेंडर जारी किए, लेकिन घोटाला सामने आने के बाद एक भी टेंडर का पहला कवर (कवर ए) तक नहीं खोला गया है। ये टेंडर 2023-24 और 2024-25 की अवधि के हैं। हर दिन बीत रहा है, और अस्पतालों में दवाओं का स्टॉक लगातार कम होता जा रहा है।

मजबूरी की खरीदी : ₹100 करोड़ का खेल..

जब नए टेंडर नहीं खुले, तो विभाग ने एक ‘जुगाड़’ निकाला। नई खरीदी के बजाय, पुराने टेंडरों के रेट अनुबंध पर ही काम चलाना शुरू कर दिया गया।

सूत्रों की मानें तो बीते आठ महीनों में बिना नए टेंडर के ही तकरीबन 100 करोड़ रुपये की खरीदी हो चुकी है। लेकिन यह ‘जुगाड़’ भी नियमों को ताक पर रखकर हुआ। नाइन एम फार्मा नाम की एक कंपनी से बिना नए टेंडर के ही 100 प्रकार की दवाएं खरीदी जा रही हैं। यह तब हो रहा है, जब इसी कंपनी की आधा दर्जन दवाएं पहले ही क्वालिटी जांच में फेल हो चुकी हैं। यानी, घोटाला एक तरफ, और मरीजों को घटिया दवा मिलने का खतरा दूसरी तरफ, जारी है।

मरीजों का दर्द :”बाहर से ले लो दवाई”

राज्य के जिला अस्पताल, पीएचसी और सीएचसी (प्राइमरी हेल्थ सेंटर) में आने वाले मरीज सबसे ज्यादा परेशान हैं। ओपीडी में डॉक्टर पर्ची पर दवा लिखते हैं, लेकिन जब मरीज दवाई काउंटर पर जाता है तो जवाब मिलता है- “यहां नहीं है, बाहर से ले लो।”

पैरासिटामोल, मौसमी बीमारियों की सामान्य दवाएं, और जरूरी उपकरण- सब नदारद हैं। मरीजों को पता है कि अस्पताल में लोकल परचेजिंग का बजट है, लेकिन वो रकम भी उन तक नहीं पहुँच पा रही है।

आगे क्या? मंत्री ने दिया आश्वासन..

मामला गरमाने के बाद स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा है कि लंबित निविदाओं को जल्द ही पूर्ण करने के निर्देश दे दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि दवाओं की कमी को पूरा करने के लिए फिलहाल सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM) से खरीदी की जा रही है।

लेकिन सवाल यह है कि 614 दिनों तक टेंडर का पहला कवर तक क्यों नहीं खुला? और इस बीच क्वालिटी जांच में फेल हुई कंपनियों से 100 करोड़ की खरीदी क्यों की गई?

सीजीएमएससी का यह घोटाला तब तक एक चुभने वाला सवाल बना रहेगा, जब तक अस्पताल के शेल्फ में पैरासिटामोल फिर से नहीं लौट आती।