छत्तीसगढ़ में भाजपा की दबंग नेत्री और पूर्व नगर पालिका सदस्य ज्योति महंत का एक आदिवासी किसान बलवंत सिंह कंवर को बेरहमी से पीटते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया है, जिसने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी है। यह शर्मनाक घटना बांकी मोंगरा थाना क्षेत्र की है, जहाँ ज्योति ने सरेआम सड़क पर और तो और, पुलिस थाना परिसर में भी किसान को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। इस घिनौनी वारदात ने छत्तीसगढ़ की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, और अब हर तरफ से इस ‘दबंग नेत्री’ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है।
घटना के कोरबा जिले के ग्राम बरेडिमुड़ा की है, जब किसान बलवंत सिंह कंवर अपने बैल के साथ सड़क से गुजर रहा था। ज्योति महंत का दावा है कि उन्होंने बलवंत से साइड लेने को कहा, लेकिन उसने गाली दी और कहा, “बाप का रोड नहीं है।” वहीं, बलवंत का कहना है कि वह फोन पर किसी से बात कर रहा था और उसने फोन पर गाली दी थी, जिसे ज्योति ने अपने लिए समझ लिया। बलवंत ने बताया कि उसने थोड़ा नशा किया था, और गलतफहमी के बाद ज्योति और उनके साथियों ने उसे सड़क पर और थाने में पीटा। उसने यह भी आरोप लगाया कि थाने में 3-4 हजार रुपये देकर उसे छोड़ा गया, हालांकि पुलिस ने पैसे लेने की बात से इनकार किया है।
वायरल वीडियो में क्या दिखा?

वायरल वीडियो में ज्योति महंत किसान को पीटते और धमकाते दिख रही हैं। वे कहती हैं, “माफी क्यों मांगा, अगर गाली नहीं दी तो? औरत जात को मजाक बनाकर रख दिया। रोड किसकी है? मरना है तो मर जा, मुझे फर्क नहीं पड़ता।” वीडियो में थाना परिसर में भी मारपीट की घटना नजर आ रही है, जिसने पुलिस की मौजूदगी पर सवाल खड़े किए हैं।
विधायक ने की कार्रवाई की मांग..
रामपुर विधायक फूलसिंह राठिया ने कोरबा पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर ज्योति महंत पर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि थाना परिसर में आदिवासी किसान के साथ अभद्र व्यवहार का वीडियो देखकर वे आहत हैं। एक आदिवासी विधायक होने के नाते उन्हें लगता है कि ज्योति को न शासन का डर है, न प्रशासन का। उन्होंने इस मामले में अपराध दर्ज कर त्वरित कार्रवाई की मांग की।
खाकी की मौजूदगी में खाकी का मखौल? पुलिस पर भी उठने लगे सवाल!
इस पूरे मामले में बांकी मोंगरा थाना प्रभारी तेज कुमार यादव का बयान बेहद चौंकाने वाला है। उन्होंने स्वीकार किया कि थाना परिसर में पिटाई की घटना हुई थी, लेकिन ‘अजीब’ बात यह है कि दोनों ही पक्षों ने कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं की है! पुलिस भले ही ‘जांच जारी है’ का रटा-रटाया बयान दे रही हो, लेकिन इस मामले ने पुलिस की भूमिका पर भी उंगलियां उठा दी हैं। आदिवासी किसान बलवंत सिंह कंवर के 3-4 हजार रुपये देकर छोड़े जाने के गंभीर आरोप को पुलिस ने सिरे से खारिज कर दिया है, लेकिन सवाल यह है कि यदि थाना परिसर में मारपीट होती है और कोई शिकायत दर्ज नहीं होती, तो क्या यह पुलिस की मिलीभगत या निष्क्रियता का प्रमाण नहीं है?

यह घटना छत्तीसगढ़ में ‘कानून का राज’ बनाम ‘दबंगई का राज’ की बहस को फिर से जिंदा कर दिया है। देखना होगा कि क्या प्रशासन इस भाजपा नेत्री के खिलाफ वाकई कोई ठोस कार्रवाई करता है, या फिर यह मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।

