दोनों बड़े नेता रायपुर से बिलासपुर एक ही मकसद के लिए आए लेकिन दोनों के बयान पार्टी को कमजोर करने जैसा रहा..

बिलासपुर। बिलासपुर रेल दुर्घटना के बाद घायलों से मुलाकात के बहाने कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है। हादसे के बाद बुधवार को कांग्रेस के दो बड़े चेहरे,छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज दोनों ने अलग-अलग समय पर बिलासपुर पहुंचकर घायलों से मुलाकात की। लेकिन जिस तरह दोनों नेताओं ने अलग-अलग दौरों और बयानों के जरिए संवेदना जताई, उसने पार्टी में बढ़ती दूरी की तस्वीर साफ कर दी।
महंत ने अस्पताल में जाकर घायलों का हालचाल लिया और राज्य सरकार से मृतकों के परिजनों को रेलवे विभाग में नौकरी देने की मांग की। दूसरी ओर, प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने भी घायलों से मिलकर एक करोड़ रुपये मुआवजा और गंभीर घायलों को पचास लाख रुपये देने की बात कही। दोनों नेताओं की मांगें भले ही मानवीय थीं, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि जब दोनों को एक ही उद्देश्य से बिलासपुर आना था, तो वे साथ क्यों नहीं आए?
कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच भी इस बात की चर्चा है कि प्रदेश नेतृत्व और विधानसभा दल के बीच संवाद की कमी लगातार बढ़ रही है। खास बात यह रही कि महंत के दौरे में संगठन के कोई बड़े नेता शामिल नहीं थे, जबकि बैज के साथ कुछ स्थानीय पदाधिकारी जरूर नजर आए। इससे यह संदेश गया कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के बीच समन्वय की स्थिति कमजोर है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर ऐसी स्थिति है और यह सच है तो कांग्रेस को भविष्य में सत्ता में आना मुश्किल जान पड़ता है।बिलासपुर हादसे पर कांग्रेस ने जहां सरकार को घेरने की कोशिश की, वहीं उसके अपने ही नेता अलग-अलग सुर में नजर आए।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर यही स्थिति रही, तो आने वाले समय में कांग्रेस के लिए विपक्ष में अपनी भूमिका निभाना और भी मुश्किल हो जाएगा। पार्टी के भीतर एकजुटता कब आएगी, यह अब कांग्रेस के भविष्य का सबसे बड़ा सवाल बन गया है।

