बिलासपुर के बिल्हा जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत ढेका में पूर्व सरपंच और दूसरे पंचायत के सचिव ने मिलकर 41 लाख रुपये का बड़ा घोटाला किया है। सरकारी पैसे के इस बंदरबांट का खुलासा करने वाले ग्राम पंचायत ढेका के नए सचिव सचिन कौशिक को ही जिला पंचायत अफसरों ने जांच से पहले निलंबित कर दिया है, जिससे जांच की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस मामले में धुमा पंचायत के सचिव भानू विश्वकर्मा को भी निलंबित किया गया है।

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, ढेका ग्राम पंचायत में नए गठन के बाद जब सचिव सचिन कौशिक को दस्तावेज सौंपे गए, तो उन्हें करोड़ों की योजनाओं में गड़बड़ी का अंदेशा हुआ। जांच में सामने आया कि पूर्व सरपंच दिनेश मौर्य ने चालाकी से सचिव की डीएससी (डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट) पासवर्ड, मोबाइल नंबर और ईमेल बदल दिए। इसके बाद ई-ग्राम स्वराज पोर्टल से कई फाइलें अप्रूव कर लाखों का भुगतान कर दिया। सचिन कौशिक ने बताया कि पंचायत निधि से 28.70 लाख रुपये खर्च किए गए, जबकि 16.17 लाख रुपये बैंक खातों से उनके बिना हस्ताक्षर के निकाल लिए गए।
डीएससी बदलकर ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा..
पंचायतों में डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी) किसी भी फाइल, भुगतान या कार्य अनुमोदन का कानूनी आधार होता है। पंचायतें ई-ग्राम पोर्टल के माध्यम से वित्तीय लेनदेन करती हैं, जिसमें पंचायत सचिव का आईडी पासवर्ड और मोबाइल नंबर दर्ज होता है। सचिन कौशिक को जब अपने डीएससी में गड़बड़ी का शक हुआ, तो उन्होंने पंचायत के सारे दस्तावेज खंगाले। इसमें पूर्व सरपंच दिनेश मौर्य और धुमा के सचिव भानू विश्वकर्मा की मिलीभगत और फर्जी हस्ताक्षर का मामला उजागर हुआ।
सचिन ने खुलासा किया कि पूर्व सरपंच ने उनके आईडी पासवर्ड के लिए रजिस्टर्ड अपना मोबाइल नंबर बदलकर अपना खुद का मोबाइल नंबर दर्ज कर दिया था, ताकि गड़बड़ी की भनक न लगे। जब उन्होंने यह गड़बड़ी पकड़ी तो अफसरों को इसकी जानकारी दी और फर्जीवाड़ा करने वाले पूर्व सरपंच के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की अनुमति मांगी।
घोटाले में कई फर्मों को भुगतान, सचिव के रिश्तेदार भी शामिल..
जांच में यह भी सामने आया है कि पूर्व सरपंच दिनेश मौर्य ने जिन फर्मों को भुगतान किया है, उनमें विश्वकर्मा ट्रेडर्स प्रमुख है, जो सरपंच के करीबी और धुमा पंचायत के सचिव भानू विश्वकर्मा से जुड़ी है। ढेका के पूर्व सरपंच ने भानू विश्वकर्मा से मिलीभगत कर आठ महीने के भीतर अपने दोस्तों, उनके रिश्तेदारों और यहां तक कि कोटवार के सगे संबंधियों के नाम बनी फर्मों को 41 लाख रुपये का भुगतान कर दिया।
जानकारी के अनुसार, विश्वकर्मा ट्रेडर्स भानू विश्वकर्मा के बड़े भाई विष्णु विश्वकर्मा के नाम पर है। संदीप मोटर वाइडिंग एवं बोरवेल्स भानू के जीजा के नाम पर है। वहीं, कोटवार की पत्नी के नाम पर कश्यप ट्रेडर्स है। बताया जा रहा है कि इन फर्मों के नाम पर कहीं भी कोई दुकान भी नहीं है। यही वजह है कि इस मामले में धुमा के सचिव भानू विश्वकर्मा को भी निलंबित कर दिया गया है।
सीईओ को बचाने के लिए सचिव को बनाया ‘मोहरा’
इस पूरे मामले में बिल्हा जनपद पंचायत के सीईओ एसएस पोयाम की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। आरोप है कि उन्होंने सचिव सचिन कौशिक को बताए बिना उनके फर्जी हस्ताक्षर से दिए गए आवेदन के आधार पर पूर्व सरपंच को डीएससी ऑपरेट करने की अनुमति दी थी। यही नहीं, बताया जा रहा है कि बिल्हा ब्लॉक के जनपद पंचायत में दर्जनों ऐसी पंचायतें हैं, जिनका ई-ग्राम पोर्टल में संबंधित पंचायत के सचिव के बजाय दूसरे सचिव डीएससी ऑपरेट कर रहे हैं। ऐसा सुनियोजित तरीके से पंचायत मद के पैसों का बंदरबांट करने के लिए किया जा रहा है।
गड़बड़ी उजागर करने वाले सचिव सचिन कौशिक को ही मोहरा बनाकर निलंबित कर दिया गया है। साथ ही कई पंचायतों का डीएससी ऑपरेट करने वाले सचिव भानू विश्वकर्मा को निलंबित कर सीईओ को बचाने का खेल चल रहा है।
निलंबित सचिव ने तैयार किया गड़बड़ियों का पुलिंदा..
निलंबित सचिव सचिन कौशिक ने इस पूरे फर्जीवाड़े का एक विस्तृत पुलिंदा तैयार किया है। इसमें उनके फर्जी हस्ताक्षर से जनपद पंचायत में डीएससी बदलने के लिए सीईओ को दिए गए आवेदन से लेकर फर्जी हस्ताक्षर से पैसे निकालने और पंचायत में हुई गड़बड़ियों के बिल-वाउचर सहित अन्य दस्तावेज शामिल हैं। इसी पुलिंदे के आधार पर उन्होंने फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की अनुमति मांगी है। यह मामला अब जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है और देखना होगा कि आगे इस पर क्या कार्रवाई होती है।

					