बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित भारतमाला प्रोजेक्ट मुआवजा घोटाले में आरोपी 4 लोगों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। बीते तीन महीनों से रायपुर जेल में बंद आरोपी हरमीत खनूजा, उमा देवी तिवारी, केदार तिवारी और विजय जैन की नियमित जमानत अर्जी को चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की सिंगल बेंच ने मंजूर कर लिया है। इस फैसले के बाद सभी आरोपी अब जेल से बाहर आ सकेंगे।
मामले की सुनवाई के दौरान आरोपियों की ओर से वकील मनोज परांजपे और सरफराज खान ने दलीलें पेश की। उन्होंने कोर्ट में कहा कि इन आरोपियों को जमानत न देने का कोई कानूनी कारण नहीं है। मुख्य न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की दलीलें और दस्तावेजों को सुनने के बाद यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने साफ किया कि यह कोई अंतरिम राहत नहीं है, बल्कि कानूनी अधिकार के तहत जमानत दी जा रही है।
यह घोटाला रायपुर विशाखापट्टनम कॉरिडोर के लिए भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण से जुड़ा है। इसमें आरोप है कि जमीन को छोटे टुकड़ों में बांटकर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को ज्यादा मुआवजा दिखाया गया। इसके बाद मुआवजा राशि को गलत लोगों के खातों में ट्रांसफर करके और फर्जी दस्तावेजों के जरिए हड़पा गया।
गौरतलब है कि बीते अप्रैल महीने में गिरफ्तार हुए इन चारों आरोपियों ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की थी। कोर्ट ने इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) से केस डायरी मंगाई थी, जिसके बाद शुक्रवार को मामले की सुनवाई हुई।
इस घोटाले का मुद्दा छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र में भी उठ चुका है। गुरुवार (17 जुलाई) को बीजेपी विधायक धरमलाल कौशिक ने सदन में इस मामले को लेकर तीखे सवाल उठाए थे और सीबीआई जांच की मांग की थी। सरकार ने इस पर कहा था कि राज्य की जांच एजेंसियां इस मामले की जांच के लिए पर्याप्त और सक्षम हैं। इस प्रकरण में आने वाले समय में और भी बड़े खुलासे और गिरफ्तारियां होने की संभावना जताई जा रही है।

