बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में मां की मृत्यु के बाद 8 साल के बच्चे की कस्टडी उसके मामा को दी है। बच्चे के पिता ने फैमिली कोर्ट के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि बच्चे का लालन-पालन और कल्याण वर्तमान में उसके मामा के पास ही सुरक्षित है। हालांकि, कोर्ट ने पिता को छुट्टियों और त्योहारों पर बेटे से मिलने और वीडियो कॉल करने का अधिकार दिया है।
यह मामला कबीरधाम जिले के तरण सिंह से जुड़ा है। उनकी पहली पत्नी रागिनी सिंह का 12 मार्च 2017 को बच्चे के जन्म के कुछ दिन बाद ही निधन हो गया था। तब से बच्चा अपने मामा ललित सिंह के घर पर ही रह रहा है। अब बच्चा 8 साल का हो चुका है। बच्चे के मामा ने गार्जियन एंड वार्ड्स एक्ट, 1890 के तहत बच्चे की कस्टडी के लिए फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की।
उन्होंने बताया कि पिता ने पहली पत्नी की मौत के एक साल बाद दूसरी शादी कर ली और उनसे एक बेटी भी है। इस दौरान पिता ने बच्चे को अपने साथ ले जाने की कोई कोशिश नहीं की। फैमिली कोर्ट ने मामा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उन्हें बच्चे की कस्टडी सौंप दी।
पिता ने फैमिली कोर्ट के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि वह बच्चे के स्वाभाविक अभिभावक हैं और उसकी बेहतर परवरिश कर सकते हैं। दूसरी ओर, मामा ने भी अपना पक्ष रखा और भांजे के बेहतर भविष्य के लिए कस्टडी की मांग की।
जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने दोनों पक्षों के तर्क और साक्ष्य देखे। कोर्ट ने पाया कि पिता ने कभी बेटे को अपने पास रखने की कोशिश नहीं की। बच्चा बचपन से मामा के साथ रह रहा है और वहां सुरक्षित है। कोर्ट ने यह भी माना कि 8 साल का बच्चा अपने पिता और सौतेली मां के साथ असहज महसूस करेगा।
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और पिता की अपील खारिज कर दी। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि मामा बच्चे से पिता की मुलाकात में किसी तरह की बाधा नहीं डालेंगे।

