दुर्ग। दुर्ग जिले में कांग्रेस को एक और तगड़ा झटका लगा है। पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू की भांजी और रिसाली नगर निगम की एमआईसी सदस्य सीमा साहू ने कांग्रेस का हाथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है। इस दलबदल के बाद रिसाली शहर सरकार में भाजपा के पार्षदों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है, जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस के पास अब सिर्फ 19 पार्षद बचे हैं।
सीमा साहू रिसाली नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुई थीं। वे गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू की दूर की रिश्तेदार हैं और उन्हें मामा कहती हैं। रिसाली नगर निगम चुनाव के दौरान महापौर पद की दौड़ में सीमा साहू का नाम सबसे आगे था, लेकिन बाद में गृहमंत्री ने शशि सिन्हा को महापौर बनाने की घोषणा कर दी थी।
सीमा साहू ने बुधवार को दुर्ग सांसद विजय बघेल के सेक्टर-5 स्थित बंगले में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इस अवसर पर सांसद विजय बघेल के साथ दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर और दुर्ग जिलाध्यक्ष सुरेंद्र कौशिक भी मौजूद थे। उन्होंने सीमा साहू को भाजपा का गमछा पहनाकर पार्टी में उनका स्वागत किया।
भाजपा में शामिल होने के बाद सीमा साहू ने रिसाली महापौर पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि महापौर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए एमआईसी चैंबर में रणनीति बनाती हैं और अधिकारियों पर गलत तरीके से दबाव डालती हैं।
सीमा साहू ने यह भी आरोप लगाया कि महापौर परिषद में तीन नए सदस्य आए हैं, और उन्हीं के द्वारा महापौर परिषद को चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के साथ वह काम नहीं कर सकतीं, इसलिए उन्होंने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है।
रिसाली महापौर पर लगे गंभीर आरोप, कांग्रेस के 6 पार्षद हुए ‘भगवामय’
रिसाली नगर निगम की महापौर अपने ही पार्षदों को संभालने में विफल दिख रही हैं। सीमा साहू के भाजपा में शामिल होने के बाद अब तक कांग्रेस के कुल 6 पार्षद ‘कमल’ थाम चुके हैं। सीमा साहू से पहले मरोदा पुरैना वार्ड 14 की पार्षद सरिता देवांगन, वार्ड 15 की पार्षद ईश्वरी साहू, वार्ड 33 के पार्षद और एमआईसी सदस्य परमेश्वर कूमार (पिंटू), वार्ड 20 के पार्षद व एमआईसी सदस्य चंद्रप्रकाश निगम और रिसाली वार्ड 3 की पार्षद सारिका प्रेम साहू भी भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। रिसाली नगर निगम में कुल 40 पार्षद हैं। हाल ही में भाजपा के एक निर्वाचित पार्षद का निधन होने से पार्षदों की संख्या 39 रह गई थी। सीमा साहू के भाजपा में प्रवेश के बाद अब भाजपा के पार्षदों की संख्या फिर से 20 हो गई है, जबकि कांग्रेस के पास 19 पार्षद ही बचे हैं। एक सीट पर उपचुनाव के बाद पार्षदों की संख्या फिर से 40 हो जाएगी।

