Big action against illegal excavation in the forest or just a show? Role of Rangers and IFS?
बिलासपुर : बिलासपुर वन मंडल ने अवैध उत्खनन और खनन माफियाओं पर शिकंजा कसते हुए 10 बड़े वाहनों को राजसात कर शासकीय संपत्ति घोषित कर दिया। इस कार्रवाई को प्रशिक्षु आईएफएस अभिनव कुमार ने नेतृत्व में अंजाम दिया। लेकिन इस बड़े कदम के बाद सवाल भी उठ रहे हैं कि यह कार्रवाई क्या जंगल में सुशासन कायम करने की वास्तविक कोशिश है या केवल मीडिया में सुर्खियां बटोरने का एक तरीका ?
बता दें कि रतनपुर वन परिक्षेत्र के अरपा नदी के किनारे संरक्षित वन क्षेत्र में अवैध उत्खनन और रेत परिवहन की सूचना पर 30 सितंबर 2024 को गश्त के दौरान धोबघाट इलाके में छापा मारा गया था। मौके पर पोकलेन मशीन और रेत से भरी कई हाईवा गाड़ियां मिलीं। वाहन चालकों से वैध दस्तावेज मांगे गए, लेकिन वे दस्तावेज प्रस्तुत करने में असमर्थ रहे।
जब्त वाहनों को किया गया राजसात..
1.हाइवा क्रमांक CG 10-AE 9073 मालिक प्रतीक गुप्ता,धनेश्वर कोटा।
2.हाइवा क्रमांक CG-10 BG 9028 मालिक चित्रांशु वर्मा, सुशील बिलासपुर।
3.हाइवा क्रमांक CG-10 BT 7814 मालिक चित्रांशु वर्मा, सुशील बिलासपुर।
4.हाइवा क्रमांक CG-10 AD 8456 मालिक शिवम दुबे,रंजन दुबे कोटा।
5.हाइवा क्रमांक CG-10 BT 6694 मालिक सतीश साहू नंगोई।
6.हाइवा क्रमांक CG-28 N 7924 मालिक रवि गुप्ता।
7.ट्रेक्टर क्रमांक CG-10 BT 1627 मालिक मोनू जायसवाल,रोहित।
8.ट्रेक्टर क्रमांक CG -10 BH 3157 मालिक सावन कुमार,रमेश।
9.पोकलेन क्रमांक SANY22SY 140 Q 000/51 मालिक पिंटू केशरवानी बेलगहना।
10.बाइक क्रमांक CG 10 BO 0764 मोनू जायसवाल।
इसके बाद वन विभाग ने कानूनी प्रक्रिया पूरी करते हुए सभी वाहनों को जब्त किया। भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 52 के तहत इन वाहनों को राजसात कर शासकीय संपत्ति घोषित कर दिया।
हालांकि, यह कार्रवाई उतनी सरल नहीं जितनी दिखती है। चर्चित स्थानीय समाचार पोर्टल तेज खबर ने पहले ही रतनपुर और बिलासपुर परिक्षेत्र में चल रहे अवैध खनन और उसमें शामिल स्थानीय अधिकारियों की उदासीनता पर सवाल उठाए थे। रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया था कि रतनपुर के रेंजर देव सिंह और बिलासपुर के रेंजर पल्लव नायक नियमित रूप से अवैध खनन गतिविधियों को नजरअंदाज करते हैं।
कार्रवाई के बाद तेज खबर ने यह भी सवाल उठाया कि क्या प्रशिक्षु आईएफएस अभिनव कुमार द्वारा की गई यह कार्रवाई मीडिया में बने रहने के लिए महज एक दिखावा है? रिपोर्ट के मुताबिक, जब तक मीडिया ने मामले को उजागर नहीं किया, तब तक प्रशासन ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया था।
स्थानीय लोगों का आरोप..
क्षेत्र के स्थानीय निवासियों का कहना है कि खनन माफिया लंबे समय से संरक्षित वनों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। वे आरोप लगाते हैं कि यह गतिविधि अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकती।
एक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया, “यह कार्रवाई केवल बड़ी मछलियों को बचाने और छोटी मछलियों पर शिकंजा कसने की रणनीति है। रेंजर और स्थानीय प्रशासन तब तक खामोश रहते हैं जब तक मामला मीडिया में नहीं आता।”

