केशकाल। छत्तीसगढ़ में बस्तर की जीवन रेखा कहे जाने वाले नेशनल हाईवे क्रमांक 30 पर केशकाल घाट के विकल्प के रूप में प्रस्तावित फोरलेन बाइपास सड़क परियोजना पिछले सात साल से अधूरी पड़ी है। इस 11.38 किलोमीटर लंबी सड़क को 266 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाना था, लेकिन काम शुरू करने के लिए राजमार्ग विभाग को अभी भी नई दिल्ली स्थित स्क्रीनिंग कमेटी से हरी झंडी मिलने का इंतजार है। इस देरी के कारण केशकाल घाट में लगने वाले भीषण जाम से प्रतिदिन कम से कम 20 हजार लोग परेशान हो रहे हैं।

ठेकेदार काम छोड़ भागा, 6 महीने से दिल्ली में अटकी फाइल..
राजमार्ग विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, बाइपास सड़क बनाने का काम सात साल पहले शुरू हुआ था, लेकिन ठेकेदार काम छोड़कर भाग गया, जिससे परियोजना ठप पड़ गई। वर्ष 2018 में, 11.38 किमी लंबे बाइपास का ठेका मुंबई की वालेचा कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया था, जिसने यह काम चेन्नई की श्रीराम कंस्ट्रक्शन को सौंप दिया। बताया गया कि करीब ढाई किलोमीटर का अर्थवर्क (मिट्टी भराई) करने के बाद यह कंपनी भी कारोबार समेटकर चली गई। तब से निर्माण कार्य रुका हुआ है।
सूत्रों ने बताया कि 266 करोड़ की इस परियोजना में दो बड़े और सात मध्यम पुलों का निर्माण भी होना है। पूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद इसकी रिपोर्ट छह महीने पहले नई दिल्ली स्थित स्क्रीनिंग कमेटी को भेजी गई थी, लेकिन अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है, जिस कारण बाइपास निर्माण का काम शुरू नहीं हो पा रहा है।
नागरिकों में आक्रोश..
केशकाल घाट पर लगातार जाम लगने की समस्या को देखते हुए बस्तर के नागरिकों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि बाईपास का निर्माण जल्द से जल्द शुरू होना चाहिए। नागरिकों ने यह भी कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि शासन को लोगों की समस्या नजर नहीं आती और हर बार सरकार को जगाने के लिए जन आंदोलन करना जरूरी हो गया है।
हालांकि, केशकाल नगरवासियों द्वारा किए गए आंदोलन के बाद अब राजमार्ग विभाग ने 6.97 करोड़ रुपये की लागत से केशकाल की सड़क मरम्मत का कार्य शुरू किया है, लेकिन नागरिकों का कहना है कि यह केवल तात्कालिक राहत है, स्थायी समाधान तो केवल बाइपास निर्माण से ही संभव है।

