Allegations of rigging in Paras Power public hearing, social activist Agrawal said if the plant is not closed, he will go to court..

बिलासपुर। घुटकु स्थित पारस पावर प्लांट के खिलाफ 13 दिसंबर को हुई जनसुनवाई में भारी विवाद और धांधली देखने को मिली। जनसुनवाई सुबह 11:18 बजे शुरू होकर महज 1 घंटे में 12:20 बजे समाप्त कर दी गई। आरोप है कि इस प्रक्रिया में स्थानीय ग्रामीणों को उनके विचार व्यक्त करने का मौका नहीं दिया गया।
अपने मजदूरों को उद्योग ने किया शामिल..
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि जनसुनवाई में प्लांट प्रबंधन ने अपने मजदूरों को शामिल किया, जो नियमों के खिलाफ है। इसके चलते वास्तविक ग्रामीणों और प्रभावित लोगों को अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला।
विरोध करने पर ग्रामीण को बाहर निकाला गया..
सुनवाई के दौरान विरोध कर रहे एक ग्रामीण को बाउंसरों द्वारा हाथ पकड़कर पंडाल से बाहर फेंक दिया गया। वहीं, पंडाल के अंदर जाने की अनुमति चेहरा देखकर दी गई। जनसुनवाई स्थल पर छह कैमरों और ड्रोन के जरिए निगरानी की जा रही थी।
प्रशासन पर उद्योग को संरक्षण देने का आरोप..
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिस उद्योग पर आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए था, उसे प्रशासन ने सुरक्षा प्रदान की। किसानों ने बताया कि आसपास के खेतों में 6 फीट तक कोयला मिला है, बाउंड्री वॉल टूटी हुई है, और खुले में केमिकल ड्रम रखे गए हैं। पानी का स्तर औसत से कम हो चुका है, जिससे पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
पर्यावरण नियमों की अनदेखी..
ग्रामीणों का कहना है कि उद्योग ने पर्यावरण नियमों की पूरी तरह अनदेखी की है। बिना उचित सड़क और मानकों के इस उद्योग को जनसुनवाई में फायदा दिया गया।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा..
सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप अग्रवाल ने कहा कि यदि प्रशासन ऐसे उद्योग को सहयोग करता रहा, तो वे इसका कड़ा विरोध करेंगे और आवश्यकता पड़ने पर न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
पुलिस और बाउंसरों का दुरुपयोग..
जनसुनवाई के दौरान पुलिस बल, धनबल और बाउंसरों का दुरुपयोग किया गया। बाउंसरों ने विरोध करने वालों को धमकी दी कि जो भी विरोध करेगा, उसे मार खानी पड़ेगी।
न्याय की मांग..
ग्रामीणों ने इस जनसुनवाई को पूर्ण रूप से अन्यायपूर्ण बताया और इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी बात नहीं सुनी गई, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।

