गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में प्रशासनिक तानाशाही का आरोप, NSUI ने कुलपति को हटाने की उठाई मांग – आंदोलन की चेतावनी..

बिलासपुर। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर में प्रशासनिक मनमानी और छात्र विरोधी फैसलों के विरोध में NSUI (भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन) ने मोर्चा खोलते हुए कुलपति प्रो. आलोक चक्रवाल को हटाने की मांग की है। संगठन ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि छात्र अधिकारों का निरंतर हनन किया जा रहा है, जिसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

प्रेस वार्ता में NSUI नेताओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप..

प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए NSUI के प्रदेश उपाध्यक्ष लक्की मिश्रा, जिलाध्यक्ष रंजीत सिंह, विवि उपाध्यक्ष सार्थक मिश्रा, छात्र नेता सुदीप शास्त्री और आदेश यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार, पक्षपात और तानाशाही का माहौल बना हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि छात्र सुदीप शास्त्री का ट्रांसफर सर्टिफिकेट (TC) और करेक्टर सर्टिफिकेट (CC) बिना किसी स्पष्ट कारण के जारी किया गया, जो प्रशासन की छात्र विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।

लक्की मिश्रा ने कहा, “यह कदम छात्रों को डराने और चुप कराने की साजिश का हिस्सा है। विश्वविद्यालय प्रशासन असहमति की आवाज़ को दबाने के लिए अनुचित तरीकों का सहारा ले रहा है। यह लोकतंत्र नहीं, बल्कि अधिनायकवाद का प्रतीक है।”

10 दिन का अल्टीमेटम, नहीं मानी मांग तो होगा बड़ा आंदोलन..

NSUI नेताओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन को 10 दिनों का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी कि यदि छात्र सुदीप शास्त्री का TC और CC वापस नहीं लिया गया तो NSUI राज्यभर में उग्र आंदोलन शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई केवल एक छात्र की नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले हर छात्र के अधिकारों की है।

सार्थक मिश्रा ने स्पष्ट किया, “यह तानाशाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि प्रशासन नहीं झुकता तो NSUI प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर विश्वविद्यालय गेट से लेकर राजधानी तक आंदोलन की ज्वाला उठेगी।”

रंजीत सिंह ने कहा कि NSUI छात्र हितों की रक्षा के लिए हर स्तर पर संघर्ष करने को तैयार है, चाहे इसके लिए कुलपति आवास का घेराव ही क्यों न करना पड़े।

UGC और केंद्र से जांच की मांग..

NSUI ने केंद्र सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) से इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर कुलपति आलोक चक्रवाल को तत्काल पद से हटाने की मांग की है, ताकि विश्वविद्यालय का शैक्षणिक वातावरण फिर से पारदर्शी और लोकतांत्रिक बन सके।