Allegations against forest department: Hunter released after taking bribe, case of implicating innocent farmers exposed.. What action will the forest minister take against guilty officers who were negligent in the investigation?? Watch the video..
बिलासपुर। बिलासपुर वन मंडल के तखतपुर परिक्षेत्र के टिंगीपुर में करेंट लगने से एक हाथी के शावक की मौत का मामला सामने आने के बाद वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठे हैं। आरोप हैं कि वन विभाग के अधिकारियों ने असली शिकारी को रिश्वत लेकर छोड़ दिया, जबकि निर्दोष किसानों को फंसाकर जेल भेज दिया। ग्रामीणों और आरोपियों के परिजनों का कहना है कि असली आरोपियों की जगह, मनोज मरकाम और उनके पिता कमल सिंह को दोषी बना दिया गया।
निर्दोष किसान बाप-बेटे को फंसाया गया..
सूत्रों के अनुसार, मनोज मरकाम और उनके पिता कमल सिंह को वन्यजीव शिकार के आरोप में जेल भेजा गया है। दोनों के पास से शिकार से संबंधित कोई सामान बरामद नहीं हुआ। पकड़े गए मनोज और उनके पिता ने पूछताछ में असली आरोपियों के नाम—ललित गौड़, रामखिलावन गौड़, और देवराज गौड़ बताए। इस पर वन विभाग ने ललित गौड़ को गिरफ्तार किया, जबकि बाकी आरोपी फरार हो गए।
शिकायत: रिश्वत लेकर असली आरोपियों को छोड़ा..
गिरफ्तारी के बाद ललित गौड़ ने अपने गांव में खुलेआम कहा कि उसने वन विभाग के अधिकारियों को रिश्वत देकर खुद को बचाया। इस बयान से ग्रामीणों में आक्रोश है, और पकड़े गए मनोज की पत्नी दुवासिया मरकाम ने आरोप लगाया, “मेरे पति को बेवजह फंसाया गया है, जबकि असली दोषियों को लेनदेन कर छोड़ दिया गया।” इसी तरह मनोज के भाई घनश्याम मरकाम ने कहा, “हमारे पास से कोई ऐसा सामान नहीं मिला जिससे शिकार का आरोप साबित हो। विभाग ने पैसे लेकर असली आरोपियों को बचा लिया।”
शिकार करने के सामान की जब्ती..
वन विभाग ने ललित गौड़, रामखिलावन गौड़, और देवराज गौड़ के घर से शिकार में इस्तेमाल किए गए सामान जैसे जीआई तार, 200 मीटर सर्विस वायर, कुल्हाड़ियां, आरी, और लकड़ी के खुटी बरामद किए। ये सभी आरोपी जंगली जानवरों का शिकार करेंट लगाकर करते थे। वन्यजीव अधिनियम के शिड्यूल-1 के तहत इन आरोपियों पर सख्त सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
प्रकरण बनाने में लापरवाही का आरोप..
इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों पर सवाल उठे हैं कि आखिर ललित गौड़ जैसे आरोपी को क्यों छोड़ा गया, जबकि बाप-बेटे को झूठे मामले में फंसाया गया? सूत्र बताते हैं कि मामले को एक नवसीखिये राजपत्रित अधिकारी द्वारा तैयार करवाया गया था, जबकि ऐसे मामलों में अनुभवी अधिकारियों का होना जरूरी था। जानकारों का कहना है कि जानबूझकर मामले को कमजोर करने की कोशिश की गई ताकि असली आरोपी बच निकलें।
विभाग की कार्यशैली पर सवाल..
वन्यजीव अधिनियम के तहत, शिड्यूल-1 श्रेणी के जीवों के शिकार के मामले में रेंजर वार्डन को छोड़ने का अधिकार नहीं है, लेकिन आरोपी ललित गौड़ को तखतपुर परिक्षेत्र के वन चेतना केंद्र से शपथ पत्र लेकर छोड़ दिया गया। ग्रामीणों ने कहा कि इससे शिकारियों के हौसले और बढ़ गए हैं।
इसी प्रकार जांच में लापरवाही बरतने पर मध्यप्रदेश शासन ने कुछ दिनों पूर्व बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुए हाथी की मौत मामले में सिविल सेवा अधिनियम 1965 के तहत जांच में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को सस्पेंड किया गया हैं जबकि बिलासपुर वन मंडल में शासन ने दोषी अधिकारियों पर जांच में लापरवाही करने पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई हैं।
क्या छ.ग.शासन के वन मंत्री नहीं चाहते कि इस प्रकार के गंभीर मामलों में लापरवाही करने और विभाग की छवि खराब करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर तत्काल कार्यवाही करें।
सीसीएफ ने जांच का दिया आश्वासन..
बिलासपुर वृत्त के मुख्य वन संरक्षक प्रभात मिश्रा ने कहा कि मामले की गहन जांच की जाएगी और अगर कोई अधिकारी इसमें दोषी पाया गया, तो सख्त कार्रवाई होगी।

