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छत्तीसगढ़वन विभाग

उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में हाथी-मानव द्वंद्व को रोकने के लिए “हाथी-बॉट” ऐप का उन्नत संस्करण: एआई और मशीन लर्निंग से होगी सटीक पूर्व चेतावनी

Jp agrawal
Last updated: 2024/08/12 at 9:11 AM
Jp agrawal Published 12/08/2024
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उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के वन विभाग ने वन्यजीवों और मानव के बीच के संघर्ष को कम करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। नोएडा बेस्ड स्टार्टअप कंपनी कल्पतरु के साथ मिलकर वन आईटी टीम ने हाथी अलर्ट ट्रैकर ऐप को अपडेट किया है। इस ऐप का नया संस्करण, जिसे “हाथी-बॉट” के नाम से जाना जाता है, एआई और मशीन लर्निंग तकनीकों पर आधारित है, और इसके माध्यम से हाथियों के विचरण और गतिविधियों की सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।



हाथी-बॉट की विशेषताएं और उसका कार्य

इस नए उन्नत ऐप के माध्यम से, छत्तीसगढ़ सहित अन्य पड़ोसी राज्यों के वन कर्मियों और स्थानीय ग्रामीणों को उनके क्षेत्र में हाथियों की उपस्थिति की सटीक जानकारी प्राप्त हो सकेगी। ऐप के माध्यम से हाथी-बॉट द्वारा प्रारंभिक चेतावनी अलर्ट भेजे जाएंगे, जिससे ग्रामीणों को 48 घंटे पहले ही हाथियों के आने की जानकारी मिल जाएगी। इससे ग्रामीणों को समय रहते सतर्क होने और आवश्यक कदम उठाने का अवसर मिलेगा।



हाथी-बॉट ऐप के माध्यम से प्राप्त डेटा के आधार पर, पिछले दो वर्षों से हाथियों के व्यवहार और विचरण का अध्ययन किया गया है। इससे यह पता चला है कि यदि हाथियों के दल में कोई हथिनी गर्भवती होती है या कोई हाथी बीमार होता है, तो दल का विचरण धीमा हो जाता है। इसके अलावा, गर्मी के मौसम में हाथी तालाबों और जलाशयों के आसपास अधिक समय बिताते हैं। इन सभी जानकारियों के आधार पर, अब ऐप को और अधिक सटीक और उपयोगी बनाया गया है। यदि किसी हाथी के स्वास्थ्य में कोई समस्या होती है, तो ऐप में उसकी लोकेशन पर एक विशेष स्वास्थ्य चिन्ह भी दिखाई देगा।

1000 किलोमीटर की परिधि में हाथियों की जानकारी

हाथी-बॉट ऐप के माध्यम से, छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती राज्यों जैसे झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और तेलंगाना के वन कर्मियों को भी हाथियों की लोकेशन और उनके विचरण की जानकारी मिल सकेगी। इस ऐप का उपयोग इन राज्यों के 1000 किलोमीटर की परिधि में स्थित वन कर्मी और ग्रामीण कर सकेंगे। इससे अंतर-राज्यीय समन्वय को सुदृढ़ किया जा सकेगा और हाथियों के विचरण की सटीक जानकारी प्राप्त की जा सकेगी।

हाथी-बॉट ऐप के लाभ और इसके प्रभाव

हाथी-बॉट ऐप के उपयोग से उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में पिछले 16 महीनों में वन्यजीव-मानव द्वंद्व के कारण किसी भी प्रकार की जनहानि नहीं हुई है। ऐप के माध्यम से हाथियों के व्यवहार और विचरण की जानकारी प्राप्त करने से वन विभाग को हाथियों के बर्ताव को समझने में मदद मिली है। इस जानकारी का उपयोग कर, हाथियों के संभावित विचरण क्षेत्रों का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।

उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक, वरुण जैन ने बताया कि ऐप के माध्यम से पिछले दो वर्षों में हाथियों के व्यवहार का अध्ययन किया गया है, जिससे यह पता चला है कि हाथी दलों के विचरण के विभिन्न पैटर्न होते हैं। इस अध्ययन के आधार पर, अब हाथी-बॉट ऐप को और अधिक प्रभावी बनाया गया है। इस ऐप का उपयोग न केवल उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में, बल्कि अन्य 12 वनमंडलों में भी किया जा रहा है।

हाथी-बॉट ऐप के माध्यम से प्राप्त जानकारी

पिछले दो वर्षों में विभिन्न हाथी दलों के विचरण की जीपीएस टैग की गई जानकारी के आधार पर उनके कॉरिडोर का नक्शा तैयार किया गया है। इसके साथ ही, हाथियों द्वारा जंगलों में बिताए गए समय, फसल हानि, जन हानि, और वनस्पतियों की खपत की जीपीएस मैपिंग भी की गई है। इन आंकड़ों का उपयोग कर, एआई और मशीन लर्निंग तकनीकों के माध्यम से हाथियों के संभावित विचरण क्षेत्रों का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।

उपनिदेशक वरुण जैन ने यह भी बताया कि इस ऐप के माध्यम से प्राप्त डेटा के आधार पर, अब वन विभाग हाथियों के रहवास स्थलों को चिन्हित कर तालाब, वृक्षारोपण, और चारागाह का निर्माण कर सकता है। इससे हाथियों को पर्याप्त भोजन और पानी की सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे वे वन क्षेत्रों में ही रहेंगे और रिहायशी इलाकों में प्रवेश नहीं करेंगे।



वन विभाग द्वारा उठाए गए अन्य उपाय

उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में हाथियों के संरक्षण और मानव-हाथी द्वंद्व को रोकने के लिए वन विभाग ने कई अन्य महत्वपूर्ण उपाय भी किए हैं। हाथियों के आगमन की पूर्व सूचना गांवों में वायरलेस, मोबाइल, और माइक के माध्यम से दी जाती है, ताकि ग्रामीण समय रहते सतर्क हो सकें। इसके अलावा, प्रभावित ग्रामीणों को मुआवजा भी प्रदान किया जाता है, और बहुउद्देशीय गजराज वाहन का उपयोग कर प्रभावित क्षेत्रों में तुरंत सहायता पहुंचाई जाती है।



हाथी प्रभावित क्षेत्रों में गठित हाथी मित्र दलों के माध्यम से हाथियों के आगमन की जानकारी वन कर्मचारियों को दी जाती है। इसके साथ ही, ग्रामीणों को हाथी विचरण की पूरी जानकारी देने के लिए आकाशवाणी के माध्यम से “हमर हाथी हमर गोठ” कार्यक्रम का प्रसारण भी किया जाता है।

वन्यप्राणी संरक्षण और संवर्धन के तहत, वन विभाग ने जल स्रोतों का निर्माण, चारागाह विकास कार्य, और अखाद्य खरपतवार का उन्मूलन जैसे कार्य किए हैं, जिससे हाथियों को वन क्षेत्रों में पर्याप्त भोजन और पानी की सुविधा उपलब्ध हो सके।


उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में हाथी-बॉट ऐप के माध्यम से हाथियों के व्यवहार और विचरण की सटीक जानकारी प्राप्त करने से मानव-हाथी द्वंद्व को रोकने में महत्वपूर्ण सफलता मिली है। एआई और मशीन लर्निंग तकनीकों पर आधारित इस ऐप का उपयोग न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि अन्य राज्यों में भी किया जा रहा है। इस ऐप के माध्यम से हाथियों के संरक्षण के प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा, जिससे वन्यजीवों और मानव के बीच का संघर्ष कम होगा और एक स्थायी समाधान की दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे।

Jp agrawal

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