बिलासपुर। जिले में निराश्रित और घूमंतू गायों की देखभाल के लिए अब गौधाम बनाए जाएंगे। मंगलवार को कलेक्टर संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति की बैठक हुई, जिसमें गौधाम योजना को लागू करने पर चर्चा की गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि राष्ट्रीय राजमार्गों के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में गौधाम स्थापित किए जाएंगे, जिससे बेसहारा पशुओं को सुरक्षित आश्रय मिल सके।
क्या है गौधाम योजना..
यह योजना छत्तीसगढ़ प्रदेश के निराश्रित, घूमंतू और कृषक पशु परिरक्षण अधिनियम के तहत शुरू की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य जब्त किए गए गौवंश पशुओं का संरक्षण, संवर्धन और विस्थापन है। बैठक में पशुधन विकास विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. जीपी सिंह तंवर ने बताया कि गौधाम उन जगहों पर बनाए जाएंगे, जहां पहले से गौठान हैं या ऐसी सरकारी जमीनें हैं, जिन पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं।
इन जगहों पर बनेंगे गौधाम..
बैठक में मस्तूरी, बिल्हा और तखतपुर ब्लॉक के गांवों में गौधाम बनाने का प्रस्ताव रखा गया। मस्तूरी में ग्राम ओखर, वेदपरसदा और गतौरा, बिल्हा में ग्राम भाड़ी, गढ़वट और हरदीकला, और तखतपुर में ग्राम लाखासार में गौधाम संचालित करने के लिए पांच पंजीकृत गौशालाओं ने सहमति पत्र भी प्रस्तुत किए हैं। इन प्रस्तावों को अब छत्तीसगढ़ राज्य गौसेवा आयोग, रायपुर भेजा जाएगा, जहां से गौधाम संचालन की अंतिम स्वीकृति मिलेगी।
कलेक्टर ने दिए निर्देश..
बैठक में कलेक्टर संजय अग्रवाल ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जिले के अंतर्गत नेशनल हाईवे से लगे 37 गांवों में गौधाम स्थापना के लिए प्रस्ताव तैयार किए जाएं। उन्होंने यह भी बताया कि अगर गौशाला समितियां गौधाम चलाने में असमर्थ होती हैं, तो अन्य स्वयंसेवी संस्थाएं, ट्रस्ट या फार्मर प्रोड्यूसर कंपनियां भी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर आवेदन कर सकती हैं। बैठक में जिला स्तरीय समिति के कई शासकीय सदस्य भी मौजूद थे।

