
B 13 एसी कोच में कॉकरोच देख यात्री ने छोड़ा डिनर
बिलासपुर। देश की मंहगी ट्रेनों में एक हमसफर का ये कैसा सफर। 10 जून को निजामुद्दीन से 4 घंटे रीशेड्यूल होकर दुर्ग के लिए रवाना की गई प्रीमियम ट्रेन हमसफर एक्सप्रेस को लेकर यह पूछा जा रहा है। लेट पर लेट उपर से एसी कोच में काकरोच। परेशानी के मामले में करेला नीम चढ़ा कहते हुए यात्री हारे थके से अपने गंतव्य को पहुंचे।
हमसफ़र ट्रेन भी हाल बेहाल चल रही है। इस प्रीमियम एक्सप्रेस पर समय के आधार पर फ्लैक्सिबल किराया पालिसी लागू होती है। यानी ये कि हवाई जहाज यात्रा की तरह किराए का निर्धारण होता है।
10 जून को निजामुद्दीन से वाया उसलापुर दुर्ग के लिए चलने वाली प्रीमियम गाड़ी हमसफर एक्सप्रेस को निजामुद्दीन स्टेशन से सुबह 11:30 की बजाय दोपहर 3:30 बजे रवाना किया गया। रास्ते में यह ट्रेन और लेट होती रही। यात्रियों का पूरा शेड्यूल बिगड़ गया। 11 जून को उसलापुर दोपहर साढ़े 3 बजे पहुंची तब यात्रियों की नाराजगी देखने लायक थी। ट्रेन की लेटलतीफी की पीड़ा इसमें सफर करने वाले ही महसूस करते हैं। शब्द केवल उसके दर्द को एक पाठ की तरह बता सकते हैं। देश में चल रही हजारों ट्रेनों के लाखों यात्री यही शिकायतें करते रहते हैं। लेकिन रेलवे को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता दिख रहा है।
इतनी परेशानी के साथ इतना पैसा खर्च करने के बाद यदि एसी कोच में भी काकरोच दिखाई दे तो रेलवे को इस को अपना फेलियर मानते हुए तत्काल सुधार का प्रयास करना चाहिए। हमसफर के एक बी टाइप एसी कोच में यात्रा कर रहे बिलासपुर के एक यात्री ने 10 जून की रात 9 बजे ग्वालियर के पास डिनर ऑर्डर किया। वे डिनर ले रहे थे तभी उन्हें कॉकरोच दिखाई दिया। जिसे देखकर घिन आई । उन्होंने डिनर छोड़ दिया। आसपास के यात्री काकरोच को लेकर रेलवे को कोसने लगे। यह छोटी सी घटना बताती है कि रेलवे यात्री ट्रेनों में साफ-सफाई और व्यवस्थाओं को सुधारने के लाख दावे करें लेकिन मैदानी हकीकत कुछ और बयां कर जाती है। यात्रियों ने इसकी शिकायत ट्विटर पर नहीं की लेकिन जानकारी इसलिए दी गई है जिससे रेलवे यात्रियों की समस्याओं को जानने के बाद उनके निराकरण के लिए ठोस प्रयास करें।

