बिलासपुर रेलवे को मिला नया मुखिया : 1996 बैच के अफसर राकेश रंजन ने संभाली डीआरएम की कुर्सी, कहा- यात्री सुविधा पहली प्राथमिकता..

बिलासपुर। दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के सबसे महत्वपूर्ण बिलासपुर रेल मंडल में सोमवार को नेतृत्व परिवर्तन हो गया। 1996 बैच के अनुभवी अफसर राकेश रंजन ने नए मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) के रूप में अपना कार्यभार संभाल लिया है। पद संभालते ही नए डीआरएम एक्शन मोड में नजर आए। उन्होंने तुरंत सभी विभाग प्रमुखों की बैठक बुलाई और मंडल में चल रहे प्रोजेक्ट्स की बारीकी से समीक्षा की। राकेश रंजन ने साफ कर दिया कि रेलवे के विकास कार्यों में देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और यात्रियों की सहूलियत ही प्रशासन का मुख्य एजेंडा रहेगा।

मीटिंग में जाना मिजाज : अफसरों से बोले- काम में लाएं तेजी..

कार्यभार ग्रहण करने के तुरंत बाद डीआरएम राकेश रंजन ने अधिकारियों के साथ परिचय बैठक की। इस दौरान उन्होंने मंडल की कार्यप्रणाली को समझा और लंबित पड़े कामों की लिस्ट ली। राकेश रंजन ने बताया कि उनकी प्राथमिकता बिलासपुर मंडल में चल रही नई रेल लाइनों और यात्री सुविधाओं से जुड़ी परियोजनाओं को तय समय सीमा के भीतर पूरा करना है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि स्टेशन पर आने वाले यात्रियों को किसी भी तरह की परेशानी न हो, इसका खास ख्याल रखा जाए।

तकनीक के मास्टर हैं नए डीआरएम..

राकेश रंजन भारतीय रेलवे सिग्नल इंजीनियर्स सेवा (आईआरएसएसई) के वरिष्ठ अधिकारी हैं। इससे पहले वे हाजीपुर में चीफ सिग्नल इंजीनियर की जिम्मेदारी निभा रहे थे। रेलटेल में निदेशक रहते हुए उन्होंने रेलवे को हाईटेक बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। खासकर ट्रेनों की सुरक्षा के लिए नई पीढ़ी के एक्सल काउंटर और इंटरनेट आधारित संचार प्रणाली (IP based communication) को लागू करने में उनका अहम योगदान रहा है। उनके इस तकनीकी अनुभव का बड़ा फायदा अब बिलासपुर मंडल को मिलने की उम्मीद है।

अनुभव का लंबा सफर..

1996 बैच : भारतीय रेलवे सिग्नल इंजीनियर्स सेवा के अधिकारी।

पिछली तैनाती : पूर्व मध्य रेलवे, हाजीपुर में चीफ सिग्नल इंजीनियर।

महत्वपूर्ण पद : बरौनी और गोरखपुर में एएसटीई, हैदराबाद में प्रोफेसर, रेलटेल में निदेशक और रेलवे बोर्ड में कार्यकारी निदेशक।

आम आदमी पर असर..

बिलासपुर रेल मंडल आय के मामले में देश के चुनिंदा मंडलों में शामिल है। नए डीआरएम के आने से रुके हुए अंडरब्रिज, ओवरब्रिज और स्टेशन पुनर्विकास के कामों में तेजी आने की संभावना है। चूंकि राकेश रंजन का बैकग्राउंड तकनीकी रहा है, ऐसे में आने वाले दिनों में यात्रियों को रेलवे के मोबाइल ऐप और डिजिटल सेवाओं में बड़े सुधार देखने को मिल सकते हैं।