बिलासपुर : नक्शा पास करने के नाम पर बोदरी नगर पंचायत में खेल, 10 हजार की घूस लेते बाबू को एसीबी ने दबोचा..

बिलासपुर। अपनी छत का सपना संजोए एक आम आदमी को फाइल आगे बढ़वाने के लिए सिस्टम के दीमकों को दाना डालना ही पड़ता है। बोदरी नगर पंचायत में बुधवार को कुछ ऐसा ही नजारा दिखा जब भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो यानी एसीबी की टीम ने बाबू दिनेश सीहोरे को 10 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों धर दबोचा। यह बाबू साहब एक मकान का नक्शा पास करने के बदले अपनी जेब गरम कर रहे थे। एसीबी की इस कार्रवाई से पूरे दफ्तर में हड़कंप मच गया और कुर्सी छोड़कर भागने की नौबत आ गई। फिलहाल टीम ने इंजीनियर के एन उपाध्याय को भी बैठाकर रखा है और उनसे कड़ी पूछताछ की जा रही है।

सरकारी दफ्तरों में बिना सेवा पानी के कागज नहीं सरकते और बोदरी नगर पंचायत इसका ताजा उदाहरण बनकर सामने आया है।

शिकायतकर्ता अपने घर का नक्शा पास कराने के लिए महीनों से दफ्तर की सीढ़ियां घिस रहा था लेकिन बाबू दिनेश सीहोरे ने साफ कर दिया था कि बिना चढ़ावे के काम नहीं होगा। थक हारकर पीड़ित ने इसकी जानकारी बिलासपुर एसीबी को दी। एसीबी के जाल में फंसते ही बाबू के चेहरे की हवाइयां उड़ गईं। जैसे ही उसने रिश्वत की रकम पकड़ी सादे कपड़ों में मौजूद टीम ने उसे दबोच लिया। केमिकल वाले पानी में हाथ डलवाते ही बाबू की उंगलियां गुलाबी हो गईं जो उनके काले कारनामों की गवाही दे रही थीं।

अफसरों की भूमिका पर संदेह, बंद कमरे में पूछताछ..

इस पूरे खेल में बाबू तो सिर्फ एक मोहरा नजर आ रहा है क्योंकि भ्रष्टाचार की जड़ें काफी गहरी हैं। एसीबी की टीम अब इंजीनियर के एन उपाध्याय और नगर पंचायत सीएमओ से भी जवाब तलब कर रही है। सूत्रों ने बताया कि दफ्तर के भीतर बड़े अधिकारियों की शह के बिना इतना बड़ा साहस संभव नहीं है। टीम यह पता लगाने में जुटी है कि इस 10 हजार की मलाई में और किन-किन साहबों के हिस्से बँटने वाले थे। खबर लिखे जाने तक एसीबी के अफसर फाइलों को खंगाल रहे थे और संदिग्धों से पूछताछ जारी थी।

रिश्वत कांड का पूरा गणित..

रिश्वत की कुल मांग 10 हजार रुपए थी जो केवल एक नक्शा पास करने के लिए मांगी गई थी। पकड़े गए आरोपी का नाम दिनेश सीहोरे है जो बाबू के पद पर तैनात है। संदेह के घेरे में इंजीनियर के एन उपाध्याय और सीएमओ भी शामिल हैं जिनसे पूछताछ हो रही है। कार्रवाई बिलासपुर एसीबी की टीम ने बुधवार दोपहर को अंजाम दी।

सरकारी कुर्सियों पर बैठकर जनता को लूटने का यह धंधा नया नहीं है। एक अदद घर बनाने के लिए इंसान जीवन भर की जमापूंजी लगा देता है और उस पर भी इन सिस्टम के नुमाइंदों को कमीशन चाहिए होता है। अब देखना यह है कि जांच की आंच सीएमओ की कुर्सी तक पहुंचती है या सिर्फ बाबू पर गाज गिरकर मामला शांत हो जाता है।