

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन राशन कार्डों में हुई गड़बड़ी का मामला गरमा गया। बेलतरा से भाजपा विधायक सुशांत शुक्ला ने बिलासपुर जिले में अपात्र लोगों को बीपीएल कार्ड जारी करने का मुद्दा उठाकर सरकार और प्रशासन को घेरा। सदन में जब खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने विभागीय जांच का हवाला देते हुए सफाई दी, तो विधायक शुक्ला ने इसे गलत बताते हुए दावा किया कि उनके पास 250 से अधिक ऐसे संदिग्ध कार्डों की सूची है जिन्हें नियमों को ताक पर रखकर बनाया गया है। इस तीखी बहस के बीच कुरुद विधायक अजय चंद्राकर ने तंज कसते हुए कहा कि अब तो राशन कार्डों की भी ‘एसआईआर’ (विशेष जांच) कराने की जरूरत आन पड़ी है।
अपात्रों पर मेहरबानी और कागजों का खेल..
सदन में प्रश्नकाल के दौरान विधायक सुशांत शुक्ला ने पूछा था कि क्या बिलासपुर जिले में साल 2023 से नवंबर 2025 के बीच एपीएल (सामान्य) कार्डधारियों को नियम विरुद्ध तरीके से बीपीएल (गरीबी रेखा) श्रेणी में बदला गया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने बताया कि कलेक्टर के निर्देश पर एक जांच समिति गठित की गई थी। मंत्री दयालदास बघेल ने जानकारी दी कि जांच में 19 कार्डों की पड़ताल हुई जिसमें से 15 कार्ड खुद हितग्राहियों की सहमति से बदले गए थे, जबकि 4 कार्डों को नगर निगम बिलासपुर के जोन क्रमांक 4 के कमिश्नर की सिफारिश पर बीपीएल श्रेणी में डाला गया।
मंत्री के इस जवाब पर विधायक सुशांत शुक्ला ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि प्रशासन का यह जवाब पूरी तरह गुमराह करने वाला है। सुशांत शुक्ला ने दावा किया कि जिला प्रशासन ने खुद इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई है क्योंकि कार्ड जारी करने में कोई प्रमाणिकता नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि उनके पास मौजूद सूची के अनुसार 250 से ज्यादा राशन कार्डों में हेराफेरी हुई है और अधिकारी असलियत छिपा रहे हैं।
सत्ता पक्ष के विधायकों का ही अपनी सरकार को आईना..
सदन का माहौल तब और रोचक हो गया जब वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर ने इस चर्चा में कूदते हुए प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर कटाक्ष किया। उन्होंने राशन कार्डों की सत्यता पर सवाल उठाते हुए इसे एक बड़ा भ्रष्टाचार बताया। अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए उन्होंने राशन कार्डों के लिए भी सख्त जांच प्रक्रिया की मांग की।
इस पूरे मामले ने बिलासपुर जिला प्रशासन और खाद्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। एक तरफ जहां सरकार गरीबों को मुफ्त राशन देने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर संपन्न लोगों को बीपीएल सूची में शामिल करना असली हकदारों के हक पर डाका डालने जैसा है। विधायक सुशांत शुक्ला ने सदन में दो टूक कहा कि जब प्रशासन खुद एफआईआर कर चुका है, तो मंत्री जी सदन में केवल 19 कार्डों की बात कहकर मामले को दबा क्यों रहे हैं।



