शादी से पहले बीमारी छिपाना क्रूरता! हाईकोर्ट ने पत्नी की अपील खारिज कर तलाक को रखा बरकरार..

तलाक के बाद पत्नी को मिलेंगे 5 लाख रुपये भरण पोषण..

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहाँ कोर्ट ने पति को तलाक की मंजूरी दे दी है। पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी ने शादी से पहले पिछले 10 साल से माहवारी नहीं आने की बीमारी (पीरियड्स रुकने की समस्या) छिपाई थी। हाईकोर्ट ने इसे मानसिक क्रूरता माना और फैमिली कोर्ट के तलाक के फैसले को सही ठहराया। जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने पत्नी द्वारा दायर की गई अपील को खारिज कर दिया।

वैवाहिक धोखे का आरोप हुआ साबित..

कबीरधाम निवासी इस दंपती की शादी 5 जून 2015 को हुई थी। पति का कहना था कि शादी के बाद जब पत्नी ने पहली बार माहवारी रुकने की बात बताई, तो डॉक्टर ने जांच के बाद कहा कि यह समस्या बहुत पुरानी है और इससे गर्भधारण में भी गंभीर दिक्कत आ सकती है। पति ने कोर्ट में दावा किया कि यह बात उससे जानबूझकर छिपाई गई। पूछने पर पत्नी ने कथित तौर पर कहा था, “अगर पहले बता देती तो आप शादी से मना कर देते।”

कोर्ट ने पाया कि पति-पत्नी साल 2016 से ही अलग रह रहे हैं और उनके रिश्ते में अब सामान्य होने की कोई उम्मीद नहीं बची है। पत्नी अपने स्वास्थ्य की स्थिति को लेकर यह भी साबित नहीं कर पाई कि अब वह पूरी तरह ठीक हो चुकी हैं। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने वैवाहिक धोखे के आरोप को सही मानते हुए तलाक के फैसले को बरकरार रखा।

भरण-पोषण के लिए पति को चार महीने में देने होंगे पाँच लाख..

कोर्ट ने तलाक को सही ठहराते हुए भी पत्नी की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखा। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि पति को पत्नी को स्थायी भरण-पोषण के तौर पर पाँच लाख रुपये देने होंगे। पति को यह राशि अगले चार महीने के भीतर जमा करनी होगी।