सामूहिक दुष्कर्म और आत्महत्या: तीन महीने तक FIR नहीं करने पर IG ने थाना प्रभारी को लाइन अटैच किया




सरगुजा। छत्तीसगढ़ पुलिस की घोर लापरवाही एक बार फिर सामने आई है। एक शादीशुदा महिला से सामूहिक दुष्कर्म और मानसिक उत्पीड़न के गंभीर मामले में तीन महीने तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई। जब पीड़िता के परिवार ने न्याय के लिए दर दर भटकने के बाद सीधे सरगुजा रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) दीपक कुमार झा से गुहार लगाई, तब जाकर पुलिस महकमे में हड़कंप मचा। आईजी दीपक कुमार झा ने इस भारी चूक पर कड़ी कार्रवाई करते हुए संबंधित जांच अधिकारी एएसआई को तत्काल निलंबित कर दिया है।

शर्मनाक : सामूहिक दुष्कर्म के बाद महिला ने लगा ली फांसी..

जानकारी के मुताबिक यह मामला झारखंड निवासी तीन युवकों से जुड़ा है। आरोप है कि तीनों युवकों ने उस समय महिला के घर में जबरन घुसकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया, जब वह घर में अकेली थी। इस घटना से महिला बुरी तरह टूट गई। उसे इतना मानसिक सदमा पहुंचा कि उसने उसी रात फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।

पीड़िता के परिजन न्याय की उम्मीद में बार बार थाने पहुंचे। उनका कहना था कि यह साफ तौर पर सामूहिक बलात्कार और मानसिक उत्पीड़न का मामला था, जिसके कारण उनकी बेटी ने आत्महत्या की। लेकिन, पुलिस ने उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और इसे केवल आत्महत्या का एक सामान्य केस मानकर ठंडे बस्ते में डाल दिया।

तीन महीने तक भटकते रहे परिजन, IG ने लिया संज्ञान..

परिवार वाले तीन महीनों तक लगातार थाने और अधिकारियों के चक्कर काटते रहे, मगर उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं मिला। जब सारे रास्ते बंद हो गए, तब उन्होंने सरगुजा आईजी दीपक कुमार झा के पास सीधी शिकायत दर्ज करवाई।

शिकायत मिलते ही मामले में उच्चस्तरीय जांच शुरू हुई। प्रारंभिक जांच में ही पुलिस की गंभीर लापरवाही साफ नजर आई। आईजी दीपक कुमार झा ने बताया कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार जांच अधिकारी एएसआई रोशन लकड़ा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। वहीं सनावल थाना प्रभारी गजपति मिर्रे को लाइन अटैच करते हुए उनके खिलाफ विभागीय जांच के भी आदेश दिए गए हैं। इतनी बड़ी लापरवाही के बाद अब पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर तीन महीने तक एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई और आरोपियों को बचाने की कोशिश क्यों की जा रही थी।