तेंदुए की मौत और पंजे चोरी का सनसनीखेज मामला : कांकेर में 4 आरोपी गिरफ्तार, कुएं से निकला था शव..

कांकेर। कांकेर वनमण्डल के नरहरपुर परिक्षेत्र से वन्यजीव अपराध का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें मृत पाए गए एक तेंदुए के चारों पैर काटकर पंजे चोरी कर लिए गए थे। वन विभाग ने इस मामले में तेजी दिखाते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और चोरी किए गए तेंदुए के पंजे बरामद किए हैं। यह घटना जंगली जानवरों के शिकार और उनके अंगों की अवैध तस्करी के गंभीर खतरे को दर्शाती है।

कुएं में मृत मिला था तेंदुआ, पंजे थे गायब..

04 दिसंबर को कांकेर वन विभाग को ग्राम करियापहर में सूचना मिली थी। किसान शिवराम नेताम और रामचंद नेताम के खेत में खसरा नंबर 139 पर स्थित कुएं में एक नर तेंदुआ गिरकर मृत पाया गया था।
वनमण्डलाधिकारी कांकेर रौनक गोयल (भा.व.से.) की मौजूदगी में शव को तत्काल कुएं से बाहर निकाला गया। मौके पर पाया गया कि मृत तेंदुए के चारों पैर काट दिए गए थे और पंजे गायब थे। वन विभाग ने तुरंत मौके पर ही तीन डॉक्टरों की टीम से शव विच्छेदन (पोस्टमॉर्टम) करवाया और बाद में शव का दहन किया गया।

डॉग स्क्वॉड की मदद से पकड़े गए आरोपी..

वन विभाग ने तत्काल अज्ञात आरोपियों के खिलाफ वन अपराध क्रमांक – 20219/02 दर्ज कर लिया और वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9 के तहत जांच शुरू की।

मुख्य वन संरक्षक, कांकेर वृत्त, राजेश कुमार चंदेले (भा.व.से.) और मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी), जगदलपुर, श्रीमती स्टाईलो मण्डावी (भा.व.से.) के मार्गदर्शन में आरोपियों की पतासाजी शुरू की गई। जांच के लिए उसी दिन यानी 04.12.2025 से रायपुर से राज्य स्तरीय उडनदस्ता दल की डॉग स्क्वॉड टीम ने भी मौके पर रहकर सहयोग किया।

आज दिनांक 06.12.2025 को वन विभाग को बड़ी सफलता मिली। विभाग ने ग्राम करियापहर के चार आरोपियों को गिरफ्तार किया:

शत्रुधन पिता नारायण, (उम्र 51 वर्ष)

श्रवण पिता महेन्द्र, (उम्र 19 वर्ष)

छबिलाल पिता बुधारू, (उम्र 35 वर्ष)

बुधारू पिता अमरसिंग, (उम्र 71 वर्ष)

वन विभाग ने इन सभी आरोपियों के पास से तेंदुए के काटे हुए पैर (नाखून सहित) बरामद किए। मौके पर पंचनामा तैयार कर जप्ती की गई। साथ ही, पंजे काटने में इस्तेमाल की गई सामग्री, जैसे कुल्हाड़ी, लकड़ी, कटारी और रस्सा भी जब्त किया गया है।

वनमण्डलाधिकारी कांकेर रौनक गोयल ने बताया कि चारों आरोपियों पर वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की विभिन्न धाराओं के तहत कड़ी कार्यवाही की जा रही है और उन्हें माननीय न्यायालय में पेश किया जा रहा है। जांच प्रक्रिया में ग्राम के कोटवार, पटेल और ग्राम प्रमुखों का भी पूरा सहयोग मिला।

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत, मृत या जीवित वन्यजीवों के अंगों को रखना या बेचना एक गंभीर अपराध है, जिसमें 7 साल तक की जेल हो सकती है। इन पंजे चोरी के पीछे तंत्र-मंत्र या अवैध तस्करी का एंगल होने की आशंका है, जिस पर आगे की जांच चल रही है।