रायपुर । छत्तीसगढ़ में बिजली उपभोक्ताओं की मोबाइल से रिचार्ज कर बिजली उपयोग करने की उत्सुकता अभी पूरी नहीं होगी। उन्हें इसके लिए और कई महीनों तक इंतजार करना पड़ेगा, क्योंकि प्रदेश के करीब 48 फीसदी घरों में अभी स्मार्ट मीटर लगना बाकी है। जून 2024 में शुरू हुए इस 1744 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश में कुल 55 लाख 63 हजार 405 स्मार्ट मीटर लगाए जाने हैं, जिसमें से वर्तमान में लगभग 30 लाख 50 हजार 939 मीटर लगाए जा चुके हैं। यानी, लगभग 25 लाख मीटर लगने बाकी हैं। यह जानकारी सीएसपीडीसीएल के एमडी भीम सिंह कंवर ने दी, जिन्होंने दावा किया कि काम तेजी से चल रहा है और लक्ष्य समय-सीमा में पूरा हो जाएगा।

डेडलाइन बढ़ी: मार्च 2028 तक पूरा होगा काम..
पहले स्मार्ट मीटर लगाने की अंतिम मियाद मार्च 2026 बताई जा रही थी, लेकिन अब यह डेडलाइन बढ़ाकर मार्च 2028 कर दी गई है। प्रदेश में करीब 52 फीसदी काम हो चुका है। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में यह काम तेजी से नहीं हो पा रहा है, क्योंकि अफसरों का कहना है कि इन क्षेत्रों में उपभोक्ता अक्सर अपने काम-काज में व्यस्त रहते हैं और घरों में हर समय उपलब्ध नहीं होते हैं। इसके विपरीत, शहरी क्षेत्रों में मीटर लगाने का काम तेजी से चल रहा है। अकेले रायपुर जिले में 13 लाख में से करीब 11 लाख मीटर लग चुके हैं।
स्मार्ट मीटर से सरकारी दफ्तरों को बड़ा नुकसान, 150 करोड़ बकाया..
स्मार्ट मीटर लगने के बाद सबसे ज्यादा असर सरकारी कार्यालयों पर पड़ने वाला है, क्योंकि इन पर वर्तमान में 150 करोड़ रुपये से ज्यादा का बिजली बिल बकाया है। बार-बार नोटिस भेजने के बावजूद विभाग इसे वसूल नहीं पा रहा है। स्मार्ट मीटर लगने से बिल बकाया होने की समस्या से निजात मिलेगी। इसके साथ ही, स्मार्ट मीटर लगने से बिजली चोरी करना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि छेड़छाड़ करने पर तुरंत अलर्ट विभाग को भेजा जाएगा। प्रदेश के अलग-अलग जिलों से कई ऐसे केस सामने आए हैं जिनमें बिजली चोरी करने पर उपभोक्ताओं पर सीधे एफआईआर करवाई जा रही है।
30 लाख पुराने मीटर कार्यालयों में डंप..
स्मार्ट मीटर लगाने का काम पूरा होते ही मोबाइल से रिचार्ज की सुविधा शुरू हो जाएगी। इस बीच, जो 30 लाख पुराने मीटर उतारे गए हैं, उन्हें बिजली विभाग ने अलग-अलग कार्यालयों में डंप कर रखा है। आगे इनका क्या होगा इसे लेकर अफसरों को भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि उपभोक्ताओं को इसका फायदा यह होगा कि बिलिंग प्रक्रिया तेज और पारदर्शी होगी, ओवरबिलिंग की समस्या कम होगी, और उपभोक्ता रिचार्ज के माध्यम से अपनी बिजली की खपत को नियंत्रित कर सकेंगे, ठीक वैसे ही जैसे मोबाइल फोन में रिचार्ज किया जाता है।

