बिलासपुर कंपोजिट बिल्डिंग में सुविधाएँ नदारद : हाईकोर्ट सख्त, कलेक्टर से मांगा शपथपत्र..

बिलासपुर। बिलासपुर की करोड़ों की लागत से बनी नई कंपोजिट बिल्डिंग में लिफ्ट के अलावा पीने के पानी और कैंटीन जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने बिलासपुर कलेक्टर को निर्देश दिए हैं कि वे एक शपथपत्र दाखिल कर बताएं कि बिल्डिंग में व्यवस्थाएँ दुरुस्त करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं और ये सुविधाएँ कब तक ठीक हो जाएँगी। मामले की अगली सुनवाई 27 नवंबर को निर्धारित की गई है।

एक लिफ्ट सुधरी, दूसरी में लगेंगे 15 दिन..

हाईकोर्ट में गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान लोक निर्माण विभाग (PWD) के सचिव ने बताया कि कंपोजिट बिल्डिंग की दो लिफ्टों में से एक लिफ्ट को सुधार लिया गया है, जबकि दूसरी लिफ्ट को पूरी तरह ठीक करने में 15 दिन का समय लगेगा।

सचिव ने कोर्ट को यह भी बताया कि बिल्डिंग जिला प्रशासन के अधीन है, इसलिए पेयजल और कैंटीन जैसी अन्य मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है। इस जानकारी के सामने आने के बाद कोर्ट ने बिलासपुर कलेक्टर को समग्र सुविधाओं के संबंध में विस्तृत जानकारी के साथ शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया।

बुनियादी सुविधाओं का अभाव..

हाईकोर्ट ने कंपोजिट बिल्डिंग में महीनों से लिफ्ट बंद होने के मामले में 10 नवंबर को स्वतः संज्ञान लिया था। सुनवाई में यह बात सामने आई कि करोड़ों की लागत वाली इस तीन मंजिला बिल्डिंग में केवल लिफ्ट ही नहीं, बल्कि पेयजल और कैंटीन की भी गंभीर समस्या है।

बिल्डिंग में लगभग सभी प्रमुख विभागों के कार्यालय हैं और यहाँ हर दिन सैकड़ों लोगों का आना-जाना होता है। सुविधाओं के अभाव में कर्मचारियों और आम नागरिकों को नाश्ता और पानी के लिए बाहर जाना पड़ता है।

दिव्यांगों के लिए सुविधाएँ अनिवार्य..

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दिव्यांगों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को सीढ़ियां चढ़ने में होने वाली कठिनाई पर चिंता जताई। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सरकारी नियमों के अनुसार, दिव्यांग व्यक्तियों की सुविधा के लिए सभी सार्वजनिक भवनों में कार्यात्मक लिफ्ट, रैंप और व्हीलचेयर की सुविधा अनिवार्य है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी सुविधाएँ उपलब्ध न होने की स्थिति में भूतल (Ground Floor) पर अस्थायी व्यवस्था की जानी चाहिए।