रायपुर/गरियाबंद/धमतरी। छत्तीसगढ़ के उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व (यूएसटीआर) ने मानव और वन्यजीवों के बीच बढ़ते संघर्ष को नियंत्रित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित तकनीक का बड़ा सहारा लिया है। अब हाथियों के साथ ही तेंदुओं, भालुओं और संदिग्ध घुसपैठियों के विचरण का पता लगाने के लिए रिजर्व में एआई कैमरे लगाए जाएंगे। ये कैमरे सीधे सायरन सिस्टम और अलर्ट ऐप के साथ इंटीग्रेटेड होंगे, जिससे 120 गांवों को वन्यप्राणियों की आवाजाही की तत्काल सूचना मिल सकेगी।

एआई कैमरा : 50 मीटर दूर से मिलेगी जानकारी..

उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व (USTR) में मानव वन्यप्राणी द्वंद्व को कम करने के लिए, वन विभाग ने स्टार्टअप कल्पवैग टेक्नोलॉजीज के सहयोग से एआई कैमरे का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
पहचान क्षमता : ये कैमरे केवल हाथियों को ही नहीं, बल्कि तेंदुओं, भालुओं और किसी भी संदिग्ध मानव घुसपैठिए को भी पहचान लेंगे।
तत्काल अलर्ट : वन्यप्राणी की पहचान होते ही, गांवों में लगे सायरन सिस्टम अपने आप चालू हो जाएंगे। साथ ही, वन कर्मचारियों और ग्रामीणों को अलर्ट कॉल और एसएमएस भी एआई सिस्टम के माध्यम से तुरंत चला जाएगा।
तकनीकी विशेषता : इन एआई कैमरों में इन्फ्रारेड (Infrared) क्षमता होगी, जिससे ये रात के घने अंधेरे में भी 50 मीटर की दूरी से वन्यप्राणियों की गतिविधियों का पता लगा सकेंगे।

स्थापना स्थल का आधार : इन कैमरों को हाथी गलियारों के उन प्रवेश बिंदुओं पर लगाया जाएगा, जो सबसे ज्यादा हाथी प्रभावित गांवों के नजदीक हैं। कैमरों को लगाने का स्थान 2023 में लॉन्च किए गए एलिफेंट ट्रैकिंग और अलर्ट ऐप से प्राप्त तीन साल के सटीक डेटा पर आधारित होगा।
हाथी मित्र दल को मिलेगी बड़ी मदद..
वन विभाग की यह नई तकनीक हाथी मित्र दलों और हाथी ट्रैकरों के प्रयासों को और मजबूत करेगी।
पिछले तीन साल का डाटा : यूएसटीआर में 120 गांव कोर और बफर क्षेत्रों में स्थित हैं। वन विभाग की सक्रियता के कारण, पिछले तीन वर्षों में रिजर्व में 40 से अधिक हाथियों, 100 तेंदुओं और 500 भालुओं की मौजूदगी के बावजूद, वन्यजीवों द्वारा जनहानि की संख्या मात्र 2 तक सीमित रखने में सफलता मिली है।
पारंपरिक और आधुनिक प्रयासों का मिश्रण..

उदंती सीता नदी टाइगर रिजर्व (USTR) मानव वन्यजीव संघर्ष से निपटने के लिए पारंपरिक वानिकी और आधुनिक तकनीकों के मिश्रण का उपयोग कर रहा है।
पारंपरिक उपाय : अवैध शिकार विरोधी अभियान, वन्यजीवों के लिए अछूते (Inviolate) स्थान बनाने हेतु अतिक्रमण हटाना, वन्यप्राणी आवास विकास कार्य जैसे वृक्षारोपण, चरगाह निर्माण और तालाबों में सौर पंप लगाना जैसे कार्य लगातार किए जा रहे हैं।
उद्देश्य : इन सभी प्रयासों का मुख्य उद्देश्य वन्यप्राणियों के लिए रिजर्व में ही अनुकूल वातावरण बनाना है ताकि वे मानव बस्तियों की ओर कम आएं।
दो माह में ऑनलाइन होगा मुआवजा भुगतान..
मानव वन्यप्राणी संघर्ष से प्रभावित ग्रामीणों को त्वरित राहत प्रदान करने के लिए यूएसटीआर एक बड़ा प्रशासनिक बदलाव ला रहा है।
ऑनलाइन प्रणाली : रिजर्व जनवरी 2026 से फसल हानि, पशु हानि, संगत्ति हानि, जन घायल और जन हानि के लिए ऑनलाइन मुआवजा प्रणाली भी शुरू करेगा।
लाभ : इस प्रणाली के लागू होने से प्रभावित ग्रामीणों को मुआवजे का भुगतान तेज़ी से हो सकेगा और प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी, जिससे उन्हें विभाग के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। वन विभाग इस ऑनलाइन प्रणाली को अगले दो माह में लागू करने का प्रयास कर रहा है।

