रायपुर। छत्तीसगढ़ क्रेडा Chhattisgarh State Renewable Energy Development Agency में मुख्य कार्यपालन अधिकारी CEO राजेश राणा की कार्यप्रणाली को लेकर फिर बड़ा बवाल खड़ा हो गया है। ऐसा लगता है जैसे अधिकारियों को अब न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले कर्मचारी बिलकुल पसंद नहीं हैं, तभी तो उन्हें निलंबन की धमकी और मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है।

कर्मचारियों का आरोप है कि पदोन्नति के आदेश जारी करने के लिए CEO राणा भेंट की चढ़ोत्तरी मांग रहे हैं और जो कोर्ट गए, उनका ट्रांसफर कर दिया गया। आलम यह है कि कुछ पीड़ित कर्मचारियों ने तो आत्महत्या तक की चेतावनी दे डाली है, जिससे क्रेडा में कभी भी अप्रिय स्थिति बन सकती है। यह पूरा मामला विभागीय पदोन्नति में मनमानी, भ्रष्टाचार और न्यायिक आदेश की अवहेलना से जुड़ा है।
पदोन्नति आदेश दबाए और कोर्ट जाने पर ट्रांसफर की सजा..
कर्मचारियों की शिकायत के अनुसार, क्रेडा मुख्यालय में विभिन्न संवर्गों की पदोन्नति के लिए DPC विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक 16 जुलाई 2024 को हुई थी, लेकिन CEO राणा ने पदोन्नति आदेश को 80 दिन से अधिक समय तक फाइलों में कैद रखा। इससे प्रभावित होकर एक कार्यपालन अधिकारी ने बिलासपुर उच्च न्यायालय में WPC 5855/2024 याचिका दायर की। कोर्ट ने 8 नवंबर 2024 तक नियमों के अनुसार निर्णय लेने का निर्देश दिया था, मगर आरोप है कि CEO ने इस आदेश को एकतरफा मानने से इनकार कर दिया।
इसके बजाय, DPC की निर्धारित तिथि के 150 दिन बाद 6 नवंबर 2024 को उन्होंने आदेश दिया कि DPC के अध्यक्ष CEO ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं और नियमों में विसंगति के कारण नई DPC की जाएगी।
पीड़ितों का कहना है कि 150 दिन तक केवल अध्यक्ष ने ही हस्ताक्षर क्यों नहीं किए, जबकि कोर्ट में इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई थी। पीड़ितों का मानना है कि निहित स्वार्थों के चलते CEO ने जानबूझकर आदेश जारी नहीं किया।
जब निर्धारित समय में आदेश नहीं निकला तो कर्मचारी ने फिर से अवमानना याचिका Contempt Petition दायर कर दी।इसके ठीक एक दिन बाद, 6 दिसंबर 2024 को पीड़ित का ट्रांसफर आदेश जारी कर दिया गया।
पीड़ित का आरोप है कि अवमानना याचिका वापस नहीं लेने के लिए उन पर CEO द्वारा दबाव बनाया जा रहा है और अन्य कोर्ट जाने वाले कर्मचारियों का भी ट्रांसफर किया गया है। पीड़ितों ने इसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का प्रयास बताते हुए छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जाति आयोग से वैधानिक कार्यवाही की मांग की है।
भेंट नहीं देने पर आदेश रोका,कर्मचारी ने दी आत्महत्या की चेतावनी..
मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई जब पीड़ित कर्मचारियों के एक धड़े ने CEO राजेश राणा पर सीधे तौर पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगाते हुए आत्महत्या की चेतावनी दी है। कर्मचारियों का खुला आरोप है कि क्रेडा में उन्हीं का पदोन्नति आदेश जारी किया जा रहा है, जो CEO द्वारा मांगी गई भेंट की चढ़ोत्तरी देने में सक्षम हैं। उनका दावा है कि चेहरा और रकम देखकर गिने-चुने आदेश ही जारी हुए हैं और कई मामलों में तो पदोन्नति बैठक से पहले ही मोटी रकम वसूल ली गई थी।
अनुसूचित जाति वर्ग के कई कर्मचारियों ने रकम देने से इनकार कर दिया है और राज्य अनुसूचित जाति आयोग में शिकायत की है। कर्मचारियों ने लिखित में आत्महत्या की चेतावनी देते हुए कहा है कि CEO ने दो टूक कह दिया है कि भले ही आत्महत्या कर लो, बगैर लेन-देन के आदेश जारी नहीं होगा। पीड़ितों ने किसी भी अप्रिय घटना के लिए CEO राजेश राणा को जिम्मेदार ठहराया है।
विवादों से पुराना नाता, पूर्व पदस्थापना पर FIR दर्ज..
छत्तीसगढ़ कैडर के 2008 बैच के आईएएस राजेश राणा का विवादों से पुराना नाता रहा है। क्रेडा में सौर ऊर्जा उपकरणों की खरीदी, टेंडर और नए कारोबारियों के रजिस्ट्रेशन में भी लेनदेन की शिकायतें सामने आई हैं। जानकारी के मुताबिक, रायगढ़ में पूर्व पदस्थापना के दौरान भी राजेश राणा पर एक विभागीय कर्मी की आत्महत्या के मामले में FIR दर्ज हो चुकी है।
यह मामला ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के कार्यपालन अभियंता EE आरपी सोनी की आत्महत्या का था। 16 अगस्त 2012 को सोनी ने सोसाइड नोट में तत्कालीन जिला पंचायत CEO राजेश राणा पर ठेकेदार गौतम जैन को साढ़े तीन लाख रुपए का अवैध भुगतान करवाने के लिए बार-बार दबाव बनाने का जिक्र किया था।
इस मामले में राजेश राणा समेत तत्कालीन तकनीकी सहायक एमएल नाग, ठेकेदार गौतमचंद जैन और मुकेश जैन के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का प्रकरण दर्ज किया गया था। CEO राजेश राणा से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका मोबाइल स्विच ऑफ मिला।

