महासमुंद/बलौदा बाजार : कहते हैं, जब सरकार नहीं सुनती तो जनता खुद ही रास्ता बना लेती है। जिले के वन विकास निगम सिरपुर रेंज में कुछ ऐसा ही देखने को मिला, लेकिन इस ‘रास्ता बनाने’ की कीमत अब 36 ग्रामीणों को जेल में चुकानी पड़ रही है। वन विभाग ने बिना अनुमति मिश्रित और सागौन के पेड़ काटने के आरोप में इन सभी को गिरफ्तार कर लिया और न्यायालय ने उन्हें जेल भेज दिया। यह पूरा मामला विकास की रफ्तार और सरकारी लेटलतीफी के बीच आम आदमी की परेशानी को उजागर करता है।
दर्द सड़क का और सजा पेड़ों को..
बलौदाबाजार जिले के कसडोल विकासखंड में स्थित आदिवासी बहुल गांव छतालडबरा के करीब सौ परिवारों की एक ही मांग थी, अमलोर से सिरपुर तक सड़क। ग्रामीणों ने इस मांग को कई बार उठाया, यहाँ तक कि सुशासन तिहार जैसे सरकारी कार्यक्रमों में भी अपनी बात रखी। वन विकास निगम ने भी सड़क निर्माण के लिए एक करोड़ रुपए का प्रस्ताव सरकार को भेजा था, लेकिन फाइलें सरकारी दफ्तरों में धूल फाँकती रहीं और स्वीकृति नहीं मिली।

सरकारी उदासीनता से थक हारकर ग्रामीणों ने तय किया कि अगर सरकार सड़क नहीं बना सकती तो वे खुद ही रास्ता साफ करेंगे और इसी फैसले के तहत वन मार्ग पर आने वाले 89 मिश्रित प्रजाति के और 3 सागौन के पेड़ काट डाले। इस घटना की जानकारी मिलते ही वन अमला मौके पर पहुंचा और तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी।

वन परिक्षेत्र अधिकारी ने बताया कि इस मामले में भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 26 1 क, च के तहत 36 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सभी को न्यायालय में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें जेल भेज दिया गया।
वहीं, इस मामले पर जनपद सदस्य प्रतिनिधि लक्ष्मी नारायण ठाकुर ने ग्रामीणों का पक्ष लेते हुए कहा कि उनकी समस्या वास्तविक है। उन्होंने कहा कि गांव से अमलोर सिरपुर जाने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है और आए दिन ग्रामीणों का सामना जंगली जानवरों से होता रहता है। ग्रामीणों ने केवल रास्ता साफ करने के लिए पेड़ काटे थे।

