बिलासपुर भाजपा की नई टीम में चम्मच हिलाने वालों का बोलबाला? जमीनी कार्यकर्ता नाराज, मंडल की सिफारिशें दरकिनार..

बिलासपुर । भाजपा की नई जिला कार्यकारिणी की घोषणा के बाद पार्टी के भीतर ही तूफान आ गया है. हाईकमान से जारी हुई इस लिस्ट ने कार्यकर्ताओं को चौंका दिया है. आरोप लग रहे हैं कि इस नई टीम में उन चेहरों को तरजीह दी गई है, जिन्होंने जमीन पर कभी पसीना नहीं बहाया, बल्कि वे सिर्फ बड़े नेताओं की चापलुसी में माहिर हैं. इससे सालों से पार्टी के लिए काम करने वाले समर्पित कार्यकर्ता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं ।

काम करने वाले किनारे, चापलूसों पैर छूने वालो को तरजीह..

पार्टी के पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष है. नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने अपनी भड़ास निकालते हुए कहा, जो लोग सिर्फ जय-जयकार करते हैं फोटो खींचते है , जिंदाबाद के नारे लगाते है और नेताओं के आगे-पीछे घूमते हैं, उन्हें तो पद मिल गया. लेकिन हम जैसे लोग, जो सालों से पार्टी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, उन्हें दरकिनार कर दिया गया. उनका कहना है कि पार्टी में अब निष्ठा की जगह पहुंच’ और पैरवी मायने रखती है, जो कि पार्टी के गाइडलाइन के खिलाफ है.

मंडल की लिस्ट को किया गया नजरअंदाज..

सूत्रों के मुताबिक, जिला कार्यकारिणी के लिए सभी मंडलों से योग्य कार्यकर्ताओं के नाम मांगे गए थे. लेकिन जब फाइनल लिस्ट सामने आई, तो पता चला कि मंडल से भेजी गई सिफारिशों को पूरी तरह साइड लाइन कर दिया गया. एक पदाधिकारी ने व्यंग्य करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि दिल्ली और रायपुर में बैठे नेताओं के लिए चमचों की पहचान ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है।

मस्तूरी का मुंगेरीलाल फैक्टर: पद की लालसा ने रोकी राह..

मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं में भी इस बात को लेकर गहरी नाराजगी है. उनका मानना है कि इस बार नई कार्यकारिणी में उनके क्षेत्र से किसी बड़े नेता का नाम इसलिए शामिल नहीं किया गया, क्योंकि मस्तूरी से ही एक पदाधिकारी को जिले में लिया गया है, जिसने खुद मुंगेरीलाल के सपने देख रखे हैं. वह नहीं चाहता कि किसी और को तरजीह मिले, क्योंकि इससे उसकी खुद की महत्वाकांक्षाओं पर ग्रहण लग सकता है. एक कार्यकर्ता ने आरोप लगाया कि यह पदाधिकारी अपनी कुर्सी बचाने और अपनी राह आसान बनाने के लिए किसी और को मौका नहीं देना चाहता, ताकि आने वाले समय में मस्तूरी की सीट पर उसका एकाधिकार बना रहे.

ज्ञात हो कि मस्तूरी विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। आरोप है कि मस्तूरी में ही अनुसूचित जाति वर्ग की संगठन में अनदेखी की गई है। जिसकी शिकायत पहले भी संगठन से की जा चुकी है।

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